पब्लिक फर्स्ट ब्यूरो।नई दिल्ली। 

एनआईए ने दिल्ली हाईकोर्ट में यासीन मलिक को टेरर फंडिंग केस में फांसी की सजा देने के लिए याचिका लगाई है। यह याचिका यासीन मलिक को दी गई उम्रकैद की सजा को फांसी में बदलने के लिए लगाई गई है। पिछले साल मई में पटियाला हाउस कोर्ट ने यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

खूखांर आतंकी यासीन मालिक

हय मामला टेरर फंडिंग से जुड़ा है, जिसमें लश्कर-ए तैयबा का सरगना आतंकी हाफिज सईद मुख्य आरोपी है। आरोप है कि हाफिज सईद कश्मीरी अलगाववादियों और दूसरे आतंकी संगठनों से मिलकर देश और विदेश से फंड इकट्ठा कर रहा था, जिसका इस्तेमाल कश्मीर में पत्थरबाजी, स्कूलों में आग लगाना, आतंकी वारदातों को अंजाम देने जैसे कामों में इस्तेमाल किया जा रहा था।

यानी इन पैसों का इस्तेमाल आतंकी और अलगाववादी कश्मीर के लोगों को भड़काने में कर रहे थे और उनके जरिए आतंकी और देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे। इसके बाद एजेंसी ने 30 मई 2017 को मामला दर्ज किया था और जांच के बाद 18 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।

इसमें लश्कर आतंकी और उसका सरगना हाफिज सईद और हिजबुल आतंकी यूसुफ शाह उर्फ सलाऊद्दीन भी शामिल है और दोनों पाकिस्तान में बैठे हैं। इस मामले में यासीन मलिक ने अदालत में खुद के ऊपर लगे आरोपों को मानते हुए सुनवाई से इनकार कर दिया था, जिसके बाद अदालत ने वििभन्न धाराओं के तहत यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई है।

NIA ने दिल्ली HC में लगाई गुहार

पटियाला हाउस कोर्ट ने 2022 में अलगाववादी नेता यासीन मलिक को टेरर फंडिंग में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।टेरर फंडिंग मामले में यूएपीए के सभी आरोपों को मलिक ने स्वीकार कर लिया था। भारतीय दंड संहित की धारा 121 के तहत एनआइए ने यासीन मलिक को मृत्युदंड की मांग की थी। इस पर न्याय मित्र ने अदालत से कहा कि धारा 121 मे दोषी पाए जाने पर मृत्युदंड का प्रविधान है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के अनुसार मृत्युदंड केवल दुर्लभ मामलों में ही देना चाहिए।उम्र कैद नियम है जबकि मृत्युदंड अपवाद। जिसके बाद कोर्ट ने यासीन मलिक को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। अब एनआइए ने निचली अदालत के फैसले को लेकर हाई कोर्ट में यासीन मलिक को फांसी की सजा देने की मांग की है।publicfirstnews.com

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