पब्लिक फर्स्ट। नई दिल्ली।
प्रदीप कुरुलकर, उम्र 59 साल। रक्षा मंत्रालय के डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन यानी DRDO के साइंटिस्ट। कुरुलकर DRDO में लैब डायरेक्टर थे। ये पद भारत सरकार में एडिशनल सेक्रेटरी के पद के बराबर होता है।
कुरु़लकर 3 मई से महाराष्ट्र ATS की हिरासत में हैं। आरोप- ISI की महिला जासूस से सीक्रेट इन्फॉर्मेशन शेयर करना। भारत की खुफिया एजेंसियां जब तक कुरुलकर तक पहुंचीं, वो काफी सेंसिटिव जानकारी उस महिला जासूस को दे चुके थे।
भारत की सुरक्षा एजेंसियां दो वजहों से परेशान हैं, पहली ये कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस यानी ISI की भारत विरोधी एक्टिविटी बढ़ गई है। देश की सुरक्षा से जुड़ी बहुत सी सीक्रेट जानकारी उस तक पहुंच रही है। इसके लिए ISI जासूसी इतिहास का सबसे पुराना हथियार हनीट्रैप हनीट्रैप का इस्तेमाल कर रही है।
परेशान होने की दूसरी वजह ये है कि बड़े पदों पर बैठे अधिकारी भी इसमें फंस रहे हैं। तीन साल में DRDO से जुड़े 9 अधिकारी इस लिस्ट में शामिल हो चुके हैं, जैसे कुरुलकर को पाकिस्तान में बैठी महिला ने अपने जाल में फंसाया था। खुद को भारतीय बताने वाली इस महिला ने कहा था कि वो डिफेंस इश्यूज पर रिसर्च करती है।
हनीट्रैप, भारत की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा…
11 जुलाई को विदेश मंत्रालय में काम करने वाले नवीन पाल को इंटेलिजेंस ब्यूरो ने पकड़ा है। आरोप है कि वो पाकिस्तान में बैठी अपनी दोस्तों को मंत्रालय की जानकारी भेज रहा था। जांच से जुड़े एक अधिकारी ने भास्कर को बताया कि उन्हें इस मामले की लीड जयपुर से मिली थी।
भारत की सिक्योरिटी से जुड़ी एक एजेंसी के सीनियर अफसर ने इस मामले पर भास्कर से बात की। हनीट्रैप को भारत की सुरक्षा के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक बताते हुए वे कहते हैं, ‘ये ऐसी चीज है, जिसे लेकर हम काफी सोच में है। बार-बार अलर्ट किए जाने के बावजूद हमारे कई अधिकारी, नीचे से लेकर ऊपर तक, इसमें बड़ी आसानी से फंसते जा रहे हैं। ऐसे कई मामले तो अभी बाहर ही नहीं आए हैं।
ISI के तीन तरीके, जिनमें अफसर फंस जाते हैं…
हमने भारतीय खुफिया एजेंसी के अफसरों से बात कर जाना कि कैसे यह पूरा जाल फैलाया जाता है। उनके मुताबिक तीन तरीकों से ISI टारगेट पर लिए अधिकारी को काबू में करने की कोशिश करती है।
- दोस्ती कर भरोसा जीतना, जरूरत की चीजें मुहैया कराना
ISI के साथ काम करने वाले लोग दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक और रक्षा भवन के आसपास घूमते रहते हैं। ये पढ़े-लिखे होते हैं और उन्हें किसी भी अनजान आदमी से बात कर उसका भरोसा जीतना सिखाया जाता है। ये लोग विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय से जुड़े अफसरों को टारगेट पर लेते हैं। उनसे दोस्ती करते हैं। कुछ समय बाद अफसरों का भरोसा जीतकर, उनकी जरूरत की चीजें मुहैया करवाते हैं। इस तरह अफसर उनके जाल में फंसते जाते हैं । - वॉट्सऐप ग्रुप से जोड़ना, मैसेज भेजकर हनीट्रैप में फंसाना
अधिकारी का नंबर एक वॉट्सऐप ग्रुप से जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि अधिकारी का नंबर ‘गलती’ से ऐड हो गया है। ग्रुप के मेंबर भारत की सिम यूज करते हैं, लेकिन रहते पाकिस्तान में हैं। कुछ ग्रुप मेंबर्स की प्रोफाइल पिक्चर में लड़कियों की फोटो होती है। अधिकारी उन नंबरों पर मैसेज करता है और फंस जाता है। अगर वो ग्रुप छोड़ दे तो, ग्रुप की महिला मेंबर बहाने से उसे मैसेज करती है और बातचीत शुरू हो जाती है। - रिसर्च स्कॉलर या पत्रकार बनकर अधिकारी से मिलना
आखिरी तरीका है टारगेट पर लिए अधिकारी को महिला पत्रकार या रिसर्च स्कॉलर का फोन आना। वो महिला अधिकारी से अपने किसी काम के लिए मदद मांगती है। धीरे-धीरे उनकी बात शुरू हो जाती है। ये सबसे आखिरी तरीका इसलिए है, क्योंकि इसके लिए जासूस को असली लगने वाला बैकग्राउंड तैयार करना पड़ता है, जैसे नकली वेबसाइट, लिंक्डइन प्रोफाइल, पब्लिश आर्टिकल और आइडेंटिटी कार्ड।
हर साल 15 से 20 केस, कई मामले पकड़ में नहीं आते
एक अधिकारी बताते हैं, ‘भारत की खुफिया एजेंसियां हर साल हनीट्रैप के 15 से 20 मामले पकड़ रही हैं। कई मामले कभी पकड़ में नहीं आते। भारतीय अफसरों को हनीट्रैप में फंसाने के लिए पाकिस्तान ने रावलपिंडी के सेना मुख्यालय जनरल हेडक्वाटर्स यानी GHQ में अलग से डिपार्टमेंट बनाया हुआ है। इसका नाम 414 int है ।
2021 की शुरुआत तक मेजर रैंक के अफसर ओमर जेब खान इसे लीड कर रहे थे। अब वो इसे संभाल रहे हैं या नहीं, या उनकी जगह कौन ये डिपार्टमेंट चला रहा है, इसकी जानकारी नहीं है।
भास्कर के पास कुछ ऑडियो क्लिप हैं, जिनमें एक महिला जासूस भारतीय अधिकारियों से अलग-अलग समय पर बात कर रही है। वो रौब दिखाते हुए बात करती है और सेना की लोकल डिप्लॉयमेट जैसी जानकारी मांग लेती है।
महिला ने किससे, कब और क्या बात की, कॉन्फिडेंशियल होने की वजह से ये हम नहीं बता रहे हैं। हमें महिला का आईकार्ड भी मिला है, जिससे पता चलता है कि वो पाकिस्तान के एक कॉलेज की स्टूडेंट है। पाकिस्तानी पासपोर्ट पर कई बार चीन जा चुकी है।
- पहला केस अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA में काम करने वाली शेरॉन स्कारनेज का है। घाना के खुफिया एजेंट माइकल ने शेरॉन को बहकाकर सीक्रेट इन्फॉर्मेशन देने के लिए तैयार कर लिया। शेरॉन ने घाना में CIA ऑपरेशन के बारे में जानकारी दी, जिसे उन्होंने सोवियत गुट के देशों को भेज दिया। ये सब मई 1983 से अक्टूबर 1984 तक चला।
- सर जेफ्री हैरिसन, सोवियत संघ में ब्रिटिश राजदूत थे। 1968 में उन्हें लंदन वापस बुला लिया गया। जेफ्री के बारे में पता चला था कि उन्होंने दूतावास में एक रूसी नौकरानी के साथ संबंध बना लिए हैं। उनकी फोटो रशियन एजेंसी KGB के पास मिली थीं।
- सबसे दिलचस्प किस्सा चीनी जासूस शिपाई पु का है। उसने चीन में तैनात फ्रांसीसी राजनयिक बर्नार बॉरिस्कॉट को हनीट्रैप में फंसा लिया था। शिपाई ने खुद को महिला बताकर बर्नार से दोस्ती की। दोनों के बीच 10 साल तक 1964 से 1974 तक रिश्ता रहा। इस दौरान चीन को सीक्रेट इन्फॉर्मेशन मिलती रही। शिपाई ने एक उइगर मुस्लिम परिवार से बच्चे को खरीदा और उसे बर्नार से पैदा बच्चा बता दिया।
- 2005 के दौरान पाकिस्तान के इस्लामाबाद से 56 साल के ब्रिटिश रक्षा अधिकारी एंड्रू दरकन को वापस बुलाना पड़ा था। ब्रिटिश एजेंसी को पता चला था कि उनकी एक पाकिस्तानी स्टूडेंट के साथ सेक्शुअल रिलेशनशिप थी। ये स्टूडेंट असल में एक खुफिया एजेंट थी। हालांकि ब्रिटिश सरकार कभी ये बात नहीं मानी कि उसके सीक्रेट लीक हुए हैं, पर दावा किया जाता है कि पश्चिमी देशों के कई जासूसी मिशन के बारे में पाकिस्तान और चीन को पता चल गया था।