पब्लिक फर्स्ट। भुवनेश्वर।

ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे को लेकर भुवनेश्वर की एक विशेष अदालत ने तीन आरोपी रेलवे अधिकारियों को ज्यूडीशियल कस्टडी में भेज दिया है।

सीनियर सेक्शन इंजीनियर अरुण कुमार मोहंता, सेक्शन इंजीनियर मोहम्मद आमिर खान और टेक्नीशियन पप्पू कुमार को 7 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था।

स्पेशल कोर्ट ने तीनों को पांच दिन की CBI रिमांड में भेजा था। 11 जुलाई को तीनों की रिमांड चार दिन के लिए बढ़ा दी गई।

आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), 201 (सबूत मिटाने) और रेलवे एक्ट की धारा 153 के तहत केस दर्ज किया गया है।

तीनों की CBI रिमांड शुक्रवार को खत्म हो गई थी, जिसके बाद उन्हें CBI स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया। मामले में अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगी।

12 जुलाई को रेलवे ने 7 अफसरों को सस्पेंड किया था
2 जून को बालासोर के बहानगा बाजार स्टेशन के पास हुए रेल हादसे में 293 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और 1,000 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

रेलवे ने 12 जुलाई को 7 अफसरों को सस्पेंड कर दिया था। इनमें गिरफ्तार होने वाले 3 रेलकर्मी भी शामिल थे।

साउथ ईस्टर्न रेलवे के जनरल मैनेजर अनिल कुमार मिश्रा ने कहा कि अगर ये अधिकारी सतर्क होते तो हादसा नहीं होता।

बालासोर हादसे की वजह सिग्नलिंग सिस्टम में खराबी
हादसे की जांच CBI कर रही है। एक जांच रेलवे बोर्ड की ओर से कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी (CRS) ने भी की है। 3 जुलाई को CRS ने 40 पेज की रिपोर्ट बोर्ड को सौंपी।

रिपोर्ट के मुताबिक, लेवल-क्रॉसिंग लोकेशन बॉक्स के अंदर तारों की गलत लेबलिंग की वजह से ऑटोमेटेड सिग्नलिंग सिस्टम में गड़बड़ी हुई। जो हादसे का कारण बनी।

क्रॉसिंग लोकेशन बॉक्स में तारों की गलत लेबलिंग के बारे में सालों तक मालूम ही नहीं चला। मेंटेनेंस के दौरान भी इसमें गड़बड़ी हुई है।

CRS रिपोर्ट की बड़ी बातें…

  1. लेवल-क्रॉसिंग लोकेशन बॉक्स के अंदर सारे तार गलत जुड़े थे। उसके चलते ही मेंटेनेंस वर्क के दौरान गड़बड़ी हुई, जिसके चलते गलत फंक्शन इंडिकेट हो रहे थे। इसके बारे में सालों तक पता नहीं चल सका।
  2. हादसे के लिए सिग्नलिंग डिपार्टमेंट को मुख्य रूप से जिम्मेदार माना जा रहा है। रिपोर्ट में स्टेशन मास्टर का नाम भी है, जो सिग्नलिंग कंट्रोल सिस्टम में गड़बड़ी का पता नहीं लगा पाए।
  3. बालासोर में एक अन्य जगह भी लोकेशन बॉक्स के डायग्राम का इस्तेमाल बहनगा बाजार के लोकेशन बॉक्स के लिए हुआ था। ये एक गलत कदम था, जिसके चलते गलत वायरिंग हुई।
  4. कोरोमंडल एक्सप्रेस में मेन लाइन के लिए ग्रीन सिग्नल था, जबकि ट्रेन की डायरेक्शन डिसाइड करने वाला सिस्टम गलत तरीके से लूप लाइन की ओर इशारा करता रहा।
  5. हादसे वाले दिन लेवल क्रॉसिंग पर इलेक्ट्रिक लिफ्टिंग बैरियर को रिप्लेस किया गया था। इस दौरान टर्मिनल पर गलत लेबलिंग के चलते गड़बड़ी हुई थी। ट्रेन को एक ट्रैक से दूसरे ट्रैक तक ले जाने वाले पॉइंट के सर्किट को पहले ही शिफ्ट कर दिया गया था।
  6. 16 मई 2022 को भी खड़गपुर मंडल के बांकड़ा नयाबाज स्टेशन पर गलत रिंग और तार खराब होने की वजह से एक ऐसी ही घटना हुई थी। तब भी वायरिंग ठीक कर ली जाती तो बालासोर हादसा नहीं होता।

ओडिशा हादसा, 51 घंटे काम करते रहे 2300 कर्मचारी:चार कैमरों से रेस्क्यू की लाइव रिकॉर्डिंग की गई; ट्रेन चली तो रेल मंत्री ने हाथ जोड़े

2 जून की शाम ओडिशा के बालासोर में देश का तीसरा सबसे बड़ा रेल हादसा हुआ। तस्वीरें ऐसी जिन्हें देखकर किसी का भी दिल दहल जाए। किसी का सिर धड़ से अलग तो किसी का कटा हुआ हाथ दूर पड़ा था। रेल की पटरियों पर लाशों का ढेर था।

रेलवे के सामने संकट था मृतकों और घायलों को घटनास्थल से निकालना और ट्रैक की मरम्मत करना। लेकिन, हादसे के 51 घंटे के अंदर ही रेस्क्यू टीम और रेल मंत्रालय इसमें सफल रहा। रेस्टोरेशन के काम में रेलवे के 2300 कर्मचारी 24 घंटे लगातार काम करते रहे। खुद रेल मंत्री पूरे ऑपरेशन की मॉनिटरिंग घटनास्थल से कर रहे थे।

बालासोर हादसा… 52 शव अब भी लावारिस: 81 DNA सैंपल में सिर्फ 30 की रिपोर्ट आई, इनमें 29 की पहचान हुई

ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रिपल ट्रेन हादसे के 34 दिन बाद भी 52 शवों की पहचान नहीं हो पाई। BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, इन शवों को भुवनेश्वर AIIMS कैंपस में डीप फ्रिज कंटेनर में रखा गया है।

6 जून को 81 शवों का DNA सैंपल जांच के लिए दिल्ली भेजा गया। शुक्रवार को इनमें से 30 सैम्पल्स की रिपोर्ट आई और 29 मृतकों की पहचान हुई। इन शवों को उनकी फैमिली को सौंप दिया गया है।

publicfirstnews.com

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