पब्लिक फर्स्ट। मणिपुर ।

मणिपुर के CM बीरेन सिंह ने मिजोरम की राजधानी आइजोल में कुकी समुदाय के समर्थन में निकाली गई रैली पर नाराजगी जताई है। इसमें मिजोरम के CM जोरमथांगा ने भी हिस्सा लिया था। बीरेन सिंह ने कहा कि जोरमथांगा को दूसरे राज्य के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

CM सिंह ने कहा, ‘यह राज्य सरकार की ड्रग कार्टेल के खिलाफ लड़ाई है। मणिपुर सरकार राज्य में रहने वाले कुकी समुदाय के खिलाफ नहीं है।’ दावा है कि आइजोल की रैली में 50 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए थे।

बीरेन सिंह ने बताया, ‘राज्य सरकार मणिपुर में होने वाली सभी घटनाओं पर नजर रख रही है। उन लोगों के खिलाफ सख्त एक्शन ले रही है, जो मणिपुर की अखंडता को नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं।’

हिंसा के बाद से 13 हजार कुकी मिजोरम पहुंचे
हिंसा की वजह से मणिपुर से कुकी-जोमी ​​​​समुदाय के करीब 13 हजार लोगों ने पलायन कर पड़ोसी राज्य मणिपुर में शरण ली है। दरअसल, मिजोरम के मिजो जनजाति का म्यांमार के कुकी-जो जनजाति और चिन समुदाय के साथ मजबूत संबंध है। यही वजह है कि यहां कुकी समुदाय के समर्थन में रैली निकाली गई।

मणिपुर में पिछले 2 दिनों में हिंसा की 2 घटनाएं…
26 जुलाई: गांव में आगजनी, फायरिंग
26 जुलाई को म्यामांर बॉर्डर के करीब मोरे गांव के घरों में आगजनी और फायरिंग हुई। मोरे गांव म्यांमार बॉर्डर से लगा हुआ है। इसमें गांव में कुकी और मैतेई दोनों समुदायों के लोग रहते हैं। हालांकि, कुकी लोगों की संख्या ज्यादा है।

25 जुलाई: सुरक्षाबलों की बस में आग लगाई
कांगपोकपी जिले में भीड़ ने 25 जुलाई को सुरक्षाबलों की दो बसें जला दीं। अधिकारियों ने बताया कि शाम को दो बसें दीमापुर से आ रही थीं। भीड़ ने उन्हें रोका और चेक किया कि उनमें विरोधी समुदाय के लोग तो नहीं हैं। इस बीच बसों में आग लगा दी गई। घटना में किसी के हताहत होने की जानकारी नहीं है।

मणिपुर पुलिस ने कहा- सेना की बसें जलाने के आरोप में एक नाबालिग समेत 9 लोगों को अरेस्ट किया गया है। उधर महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाने के वायरल वीडियो वाले मामले में अब तक 7 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं।

पूर्वोत्तर राज्यों में भी मणिपुर हिंसा का असर
मणिपुर की हिंसा के बाद पूर्वोत्तर के अन्य राज्य भी जातीय हिंसा की चपेट में आ गए हैं। अब असम और मणिपुर के छात्र संघ ने मिजो लोगों को असम की बराक घाटी छोड़ने की नसीहत दी है। इससे दो दिन पहले मिजो संगठनों ने मैतेइयों को मिजोरम छोड़ने का अल्टीमेटम जारी किया था। डर के कारण अब तक मैतेई समुदाय के 568 लोग मिजोरम छोड़कर इंफाल आ गए हैं। इसमें ज्यादातर स्टूडेंट और प्रशासन से जुड़े लोग हैं।

मीरा पाइबी की महिलाएं जवानों को आगे नहीं बढ़ने देतीं
मणिपुर में मीरा पाइबी (महिला मशाल वाहकों का समूह) सैन्य बलों को कार्रवाई से रोक रहा है। जब भी जवान उपद्रवियों पर कार्रवाई के लिए आगे बढ़ते हैं तो महिलाएं दीवार बनकर खड़ी हो जाती हैं। इनकी संख्या दो से तीन हजार तक होती है। इसलिए जवान भी बल प्रयोग नहीं करते।

असम रायफल्स से जुड़े एक अधिकारी ने दैनिक भास्कर को बताया कि इस समूह में कुछ ऐसी महिलाएं होती हैं जो नग्न प्रदर्शन करने की धमकी देने लगती हैं। जब सेना का काफिला पहाड़ियों में आगे बढ़ता है तो ये लाठी लेकर आती हैं। सैन्य अधिकारियों से उनके पहचान पत्र मांगती हैं।

मीरा पाइबी महिलाओं से निपटने के लिए महिला जवानों की जरूरत


इंफाल के कई चौराहों पर मीरा पाइबी महिलाओं को गुटों में देखा जा सकता है। ये गंभीर अपराधों को अंजाम देने में मदद भी कर रही हैं। इनसे निपटने के लिए यहां बड़ी संख्या में महिला जवानों की जरूरत है। अभी राज्य में CRPF की तीन, RAF की 10 कंपनियां और 375 प्लाटून हैं।

CRPF की एक कंपनी में 75 और RAF महिला प्लाटून में 15 जवान होती हैं, जो सड़कों पर गश्त कर रहीं सैकड़ों महिला कार्यकर्ताओं का मुकाबला करने के लिए नाकाफी हैं। हाल में इंफाल के बाहरी इलाके में एक नगा मारिंग महिला की हत्या में 5 मीरा पाइबी महिलाओं को गिरफ्तार किया है।

मीरा पाइबी… अन्याय के खिलाफ समूह बना था
पारंपरिक तौर पर मीरा पाइबी मणिपुर में किसी भी सामाजिक अन्याय के खिलाफ लड़ाई में पथ प्रदर्शक की भूमिका निभाने वाली महिलाओं का समूह है। जब कोई विपरीत सामाजिक परिस्थिति बनती है तो मणिपुर में हर महिला मीरा पाइबी बन जाती है, जो समुदायों को प्रभावित करती है।

सेना की जिम्मेदारी… यहां सिर्फ शांति स्थापित करना
मणिपुर में 3 मई के बाद से असम रायफल्स और सेना की 170 टुकड़ियां तैनात हैं। अमूमन एक टुकड़ी में 40 से 50 जवान होते हैं। BSF, मणिपुर पुलिस कमांडो, पुलिस के हजारों जवान मोर्चे पर हैं। असम रायफल्स का काम शांति स्थापित करना है।

publicfirstnews.com

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