पब्लिक फर्स्ट। भोपाल ।

चंद्रयान-3 मिशन की सफलता ने भारतीयों को गर्वित बना दिया है। इसरो ने इस मिशन को एक जिम्मेदार एजेंसी के रूप में संचालित किया है और सभी अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन किया है। चंद्रयान-3 का लॉन्च होते ही, लॉन्च वाहक LVM3 M4 के क्रायोजेनिक अपर स्टेज ने ‘पैसिवेशन’ को संपन्न किया। इस प्रक्रिया में सभी अवशिष्ट प्रोपेलेंट और ऊर्जा स्रोतों को हटाया जाता है ताकि धमाके का जोखिम कम हो।

संयुक्त राष्ट्र (UN) और इंटर-एजेंसी स्पेस डेब्रिस कोऑर्डिनेशन कमिटी (IADC) के सभी मार्गदर्शिकाओं का पालन हुआ है। अब LVM3 M4 के क्रायोजेनिक अपर स्टेज ने पृथ्वी के वायुमंडल में ‘अनकंट्रोल्ड री-एंट्री’ किया है, जिसका प्रभाव उत्तरी प्रशांत महासागर के ऊपर हुआ है। इसरो के अनुसार, इसका प्रभाव भारत के ऊपर से नहीं हुआ है और फाइनल ग्राउंड ट्रैक ने यह स्थिति साबित की है

  • ISRO के मुताबिक, LVM3 M4 लॉन्च वीइकल के क्रायोजेनिक अपर स्टेज का संभावित इम्पैक्ट पॉइंट नॉर्थ पैसिफिक ओशन (उत्तरी प्रशांत महासागर) के ऊपर है।
  • रॉकेट के इस हिस्से का फाइनल ‘ग्राउंड ट्रैक’ (किसी ग्रह की सतह पर किसी विमान या उपग्रह के लॉन्‍चर ट्रैजेक्टरी के ठीक नीचे का रास्ता) भारत के ऊपर से नहीं गुजरा।
  • इसरो ने कहा कि रॉकेट बॉडी की री-एंट्री इसके लॉन्‍च के 124 दिनों के भीतर हुई।​

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