- देश के 80 प्रतिशत घड़ियाल चंबल नदी में पाए जाते हैं: CM डॉ मोहन यादव
- बाघ प्रदेश, चीता प्रदेश, तेंदुआ प्रदेश के बाद अब घड़ियाल प्रदेश बना मध्यप्रदेश
- देश में घड़ियालों की संख्या 3044 है, मध्यप्रदेश में 2456 हैं
- देश में 80 प्रतिशत से अधिक घड़ियालों का घर है मध्य प्रदेश
- सरकार ने 435 किलोमीटर क्षेत्र को चंबल घड़ियाल अभयारण्य घोषित किया
- चंबल नदी मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सीमा पर बहती है
- चंबल नदी में घड़ियालों की वृद्धि की वजह देवरी ईको सेंटर है
मध्य प्रदेश में वन्य-जीव पर्यटन अभियान की शुरुआत शनिवार से हो रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इस अभियान की शुरुआत करते हुए चंबल अभयारण्य का दौरा करेंगे। इस दौरान वह चंबल नदी के घड़ियाल अभयारण्य की व्यवस्थाओं का निरीक्षण करेंगे और पर्यटन सुविधाओं का जायजा लेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्य प्रदेश को प्रकृति ने कई वरदान दिए हैं, जिसमें सघन वन, विविध वृक्ष और वन्य-जीव शामिल हैं। राज्य बाघ, तेंदुआ और घड़ियाल जैसी प्रजातियों का घर है और यह दुनिया भर में घड़ियालों की सबसे बड़ी संख्या वाला क्षेत्र है। चंबल नदी में दुनिया के 85 प्रतिशत घड़ियाल पाए जाते हैं, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं।
1978 में इसे वन्य-जीव अभयारण्य के रूप में मान्यता मिली
चंबल अभयारण्य, जो मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के साझा प्रयासों से स्थापित हुआ है, एक प्रमुख वन्य-जीव संरक्षण परियोजना है। 1978 में इसे वन्य-जीव अभयारण्य के रूप में मान्यता मिली थी। यहां घड़ियाल, लाल मुकुट वाले कछुए और गांगेय डॉल्फिनों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। मुख्यमंत्री ने बताया कि चंबल अभयारण्य में 26 दुर्लभ कछुआ प्रजातियां पाई जाती हैं। यहां की नदियों और घाटियों के किनारे परिपूर्ण दृश्य और विविध जीवों के अवलोकन के लिए पर्यटकों के लिए यह एक आदर्श स्थल है। शीतकाल में विशेष रूप से घड़ियालों को देखने का सर्वोत्तम समय होता है, जब यह पानी से बाहर आते हैं।
वन्य जीवन से समृद्ध मध्य प्रदेश बाघ प्रदेश, चीता प्रदेश, तेंदुआ प्रदेश के साथ अब घड़ियाल प्रदेश भी है। यहाँ गिद्धों का आदर्श रहवास है। देश में घड़ियालों की संख्या 3044 है और उसमें से मध्य प्रदेश में 2456 है। इस प्रकार मध्य प्रदेश देश में 80 प्रतिशत से अधिक घड़ियालों का घर है। यहाँ पर डॉल्फिन का भी रहवास है। मध्य प्रदेश में अथक प्रयासों से घड़ियालों के संरक्षण का कार्य किया गया। उनके प्राकृतिक रहवास को सुरक्षित बनाया गया और अवैध शिकार पर रोक लगायी गयी। साथ ही अवैज्ञानिक मछली पकड़ने के तौर-तरीकों को बंद किया गया।
जनसम्पर्क अधिकारी केके जोशी ने शुक्रवार को बताया कि चंबल नदी के 435 किलोमीटर क्षेत्र को चंबल घड़ियाल अभयारण्य घोषित किया गया है। चंबल नदी मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सीमा पर बहती है। नदी में घड़ियालों की वृद्धि की वजह देवरी ईको सेंटर है। इस सेंटर में घड़ियाल के अण्डे लाये जाते हैं और उनसे बच्चे निकलने के बाद उनका पालन किया जाता है। बच्चों की आयु 3 साल होने पर उन्हें नदी में छोड़ दिया जाता है। प्रतिवर्ष 200 घड़ियाल को “ग्रो-एण्ड-रिलीज’’ कार्यक्रम के तहत नदी में छोड़ा जाता है। स्वच्छ नदियों में रहना और नदियों को स्वच्छ रखना घड़ियालों की विशेषता है। इसी वजह से कई राज्यों से इसकी माँग की जाती है। चंबल नदी के घड़ियाल प्रदेश एवं देश की नदियों की शान बढ़ा रहे हैं। जलीय जीव घड़ियाल नदियों का ईको सिस्टम मजबूत करते हैं।
उन्होंने बताया कि देश में वर्ष 1950 और 1960 के दशक के बीच घड़ियालों की आबादी में 80 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आयी। भारत सरकार ने 1970 के दशक में इसे संरक्षण प्रदान किया। संरक्षण समूहों ने प्रजनन और पुन: प्रवेश कार्यक्रम शुरू किये। हालांकि, वर्ष 1997 और वर्ष 2006 के बीच घड़ियालों की आबादी में गिरावट आयी।
घड़ियाल को गेवियलिस गैंगेटिकस, जिसे गेवियल या मछली खाने वाला मगरमच्छ भी कहा जाता है। वयस्क मादा घड़ियाल 2.6 से 4.5 मीटर (8 फीट 6 इंच से 14 फीट 6 इंच) लम्बी होती है और नर घड़ियाल 3 से 6 मीटर (9 फीट 10 इंच से 19 फीट 8 इंच) लम्बे होते हैं। वयस्क नर के थूथन के अंत में एक अलग सिरा होता है, जो घड़ा नामक मिट्टी के बर्तन जैसा दिखता है, इसलिये इसका नाम घड़ियाल पड़ा। घड़ियाल अपने लम्बी, संकरी थूथन और 110 आपस में जुड़े तीखे दाँतों की वजह से मछली पकड़ने में सहायक होते हैं।
राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य की स्थापना के लिये 30 सितम्बर, 1978 में भारत सरकार की प्रशासनिक स्वीकृति मिली थी। घड़ियालों का कुनबा बढ़ाने के लिये मुरैना में चंबल घड़ियाल सेंक्चुरी के देवरी घड़ियाल सेंटर में हेचिंग सेंटर शुरू किये जायेंगे। इन नदियों के किनारे बसे 75 गाँव के लोगों को जागरूक किया गया है। गाँव के 1200 लोग घड़ियाल मित्र के रूप में वन विभाग के साथ काम कर रहे हैं।
पंजाब में वर्ष 1960-70 के बाद से वहाँ की नदियों से घड़ियाल गायब हो गये थे। चंबल नदी के देवरी घड़ियाल सेंटर से वर्ष 2017 में घड़ियाल पंजाब भेजे गये थे। वर्ष 2018 में 25 घड़ियाल सतलुज नदी के लिये भेजे गये और वर्ष 2020 में व्यास नदी के लिये 25 घड़ियाल भेजे गये थे।
चंबल नदी के पारिस्थतिकी तंत्र को सुरक्षित रखने की दिशा में राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य बनाया गया था। तीन राज्यों में स्थित इस सेंचुरी का मुख्य आकर्षण घड़ियाल और दुर्लभ पक्षी ‘स्कीमर’ है। यह गंगेटिक में पायी जाने वाली डॉल्फिन, घड़ियाल, मगरमच्छ और साफ पानी के कछुओं के लिये प्रसिद्ध है। वर्ष 1979 में इसे राष्ट्रीय अभयारण्य घोषित किया गया था। यह तीन राज्यों मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान में फैला हुआ है। अब तक प्रवासी एवं यहाँ रहने वाले पक्षियों की 290 से अधिक प्रजातियों की पहचान की जा चुकी है। इस अभयारण्य का मुख्य आकर्षण घड़ियाल और दुर्लभ पक्षी “इण्डियन स्मीकर’’ है। यह दुर्लभ पक्षी गर्मियों के मौसम में यहाँ अपना घरोंदा बनाते हैं। देश में अपनी कुल आबादी के करीब 80 फीसदी स्मीकर चंबल सेंचुरी में प्रवास करते हैं।
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