मध्य प्रदेश में हाल ही में कई गांवों और स्थानों के नाम बदलने की प्रक्रिया तेज़ हो गई है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उज्जैन जिले के तीन गांवों के नाम बदलने की घोषणा की: मौलाना गांव का नाम विक्रम नगर, गजनीखेड़ी का नाम चामुंडा माता नगर, और जहांगीरपुरा का नाम जगदीशपुर रखा गया है। 

इसके बाद, शाजापुर जिले के 11 गांवों के नाम भी बदले गए हैं। उदाहरण के लिए, मोहम्मदपुर मछनाई का नाम मोहनपुर, ढाबला हुसैनपुर का नाम ढाबला राम, और मोहम्मदपुर पवाड़िया का नाम रामपुर पवाड़िया रखा गया है। 

इन परिवर्तनों के साथ, राज्य में अन्य 55 स्थानों के नाम बदलने की मांग भी उठ रही है, जिसमें भोपाल, रायसेन, उज्जैन, विदिशा, सीहोर, और मंदसौर जिलों के गांव और कस्बे शामिल हैं। उदाहरण के लिए, भोपाल में जहांगीराबाद, शाहजहांनाबाद, हबीबगंज, मुबारकपुर, बरखेड़ा याकुब, और आदमपुर छावनी जैसे क्षेत्रों के नाम बदलने की मांग की जा रही है। 

नाम बदलने की इस प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक और सामाजिक चर्चाएं भी हो रही हैं। कुछ लोग इसे सांस्कृतिक पुनर्स्थापना मानते हैं, जबकि अन्य इसे राजनीतिक एजेंडा का हिस्सा मानते हैं। नाम परिवर्तन की अंतिम स्वीकृति केंद्र सरकार द्वारा दी जाती है, जबकि राज्य सरकार प्रस्ताव भेजती है। 

इस प्रकार, मध्य प्रदेश में गांवों और स्थानों के नाम बदलने की प्रक्रिया वर्तमान में चर्चा का विषय बनी हुई है, जिसमें विभिन्न स्थानों के नामों के परिवर्तन की मांगें और घोषणाएं शामिल हैं।

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