पब्लिक फर्स्ट। पन्ना । अनूप शुक्ल ।

पन्ना विधानसभा में वन और राजस्व विभाग के बीच भूमि सीमा विवाद ने एक बार फिर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह ने गुरुवार को विधानसभा में यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया और वन विभाग की कार्यप्रणाली पर कड़ा सवाल खड़ा किया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वन विभाग राजस्व की भूमि को जबरन अपने कब्जे में बता रहा है, जो स्वीकार्य नहीं है।

इस विवाद के स्थायी समाधान के लिए उन्होंने वन व्यवस्थापन अधिकारी की नियुक्ति की मांग की, जिसे संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भी समर्थन दिया। विधायक सिंह ने बताया कि 25 साल पहले भी इस विवाद के समाधान के लिए आदेश जारी हुए थे, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई।

उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा स्वीकृत गर्ल्स कॉलेज की भूमि, मेडिकल कॉलेज, और नेशनल हाईवे 39 के फोर लेन प्रोजेक्ट — तीनों ही योजनाएं वन विभाग की आपत्तियों के चलते अटक गई हैं।

सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि पन्ना के 60% क्षेत्र में वन भूमि फैली है, और लगभग 1,500 भू-स्वामी बेदखली का सामना कर रहे हैं। 415 वन व्यवस्थापन पट्टे अब तक राजस्व विभाग में दर्ज नहीं किए गए हैं।

राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा ने आश्वासन दिया कि जहां भी ऐसी समस्याएं हैं, वहां दोनों विभाग मिलकर समाधान निकालेंगे और एक भी आदिवासी को विस्थापित नहीं किया जाएगा। इसके बावजूद विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह वन व्यवस्थापन अधिकारी की नियुक्ति पर अड़े रहे।

यह मुद्दा ना केवल प्रशासनिक तालमेल की कमी को उजागर करता है, बल्कि हजारों ग्रामीणों और किसानों की आजीविका से भी सीधा जुड़ा है। अब देखना यह है कि इस भूमि विवाद पर सरकार कितना शीघ्र और प्रभावी कदम उठाती है।

publicfirstnews.com

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