पब्लिक फर्स्ट। काठमांडू । ब्यूरो।
नेपाल में राजनीतिक संकट अपने चरम पर पहुँच गया है। 9 सितंबर 2025 को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने देशभर में फैली हिंसक घटनाओं और राजनीतिक दबाव के बीच इस्तीफा दे दिया। पिछले दो दिनों से उग्र हो रहे Gen-Z प्रदर्शनकारियों ने भ्रष्टाचार, सोशल मीडिया पर प्रतिबंध और सरकार की कार्यशैली के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए काठमांडू समेत कई शहरों में विरोध प्रदर्शन किए।
भीड़ ने संसद भवन में घुसकर आग लगा दी, राष्ट्रपति भवन में तोड़फोड़ की और कई मंत्रियों के घरों पर हमले किए। सुरक्षा बलों की कार्रवाई के बावजूद स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई। हिंसा में 20 से अधिक लोगों की मौत और 350 से ज्यादा घायल होने की खबर है।
सेना प्रमुख ने प्रधानमंत्री ओली को इस्तीफा देने की सलाह दी और सुरक्षा व्यवस्था संभालने के लिए सेना तैनात की गई। इससे पहले सरकार के 10 मंत्री इस्तीफा दे चुके थे। अंततः ओली ने राष्ट्रपति को इस्तीफा पत्र सौंपा। बताया जा रहा है कि ओली के देश छोड़ने की संभावना है, एयरपोर्ट बंद कर दिया गया है और निगरानी कड़ी कर दी गई है।
हिंसक विरोध और राजनीतिक अस्थिरता के बीच नेपाल का भविष्य अब अनिश्चित हो गया है। विपक्ष और आम जनता दोनों ही सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं।
निष्कर्ष:
नेपाल में बढ़ते राजनीतिक संकट ने जनआक्रोश को हिंसक रूप दे दिया, जिसमें संसद और राष्ट्रपति भवन में आगजनी की घटनाएँ शामिल रहीं। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने देश की बिगड़ती स्थिति और सुरक्षा संकट के चलते 9 सितंबर 2025 को इस्तीफा दे दिया। राजनीतिक अस्थिरता ने पूरे देश को झकझोर दिया है।
