पब्लिक फर्स्ट।
राजस्थान में कांग्रेस आलाकमान ने बढ़ाया फोकस
गहलोत-पायलट विवाद को दूर करने की कोशिश
पार्टी कर रही 3 विकल्पों पर विचार, क्या बनेगी बात
राजस्थान चुनाव में दोनों दिग्गजों का साथ होना जरूरी
टीएस सिंहदेव को छत्तीसगढ़ का उपमुख्यमंत्री बनाने के बाद, कांग्रेस आलाकमान की निगाहें अब राजस्थान पर हैं। राज्य में सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच झगड़े को सुलझाने का प्रयास पार्टी नेतृत्व कर रहा है। सूत्रों ने बताया कि पार्टी नेता इसे लेकर तीन फॉर्मूले पर काम कर रहे हैं। पहले फॉर्मूले के तहत इस बात पर चर्चा हो रही है कि सचिन पायलट को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव और सीडब्ल्यूसी सदस्य बनाया जाए। उन्हें राजस्थान विधानसभा चुनाव अभियान समिति का प्रभार भी दिया जाए।
दूसरा फॉर्मूला सचिन पायलट को राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में वापस लाने पर है। इस कदम से अशोक गहलोत खेमा परेशान हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वह चाहता है कि पार्टी प्रमुख उनके गुट का ही कोई व्यक्ति बने। गहलोत गुट का कहना है कि चुनावी साल में मौजूदा पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को हटाने से जाट वोट बैंक में सेंध लग सकती है।
पार्टी आलाकमान इस बात पर चर्चा कर रहा है कि क्या डोटासरा को उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। तीसरे फॉर्मूले के मुताबिक, पायलट और गहलोत को आमने-सामने बैठाकर मतभेदों को दूर किया जाए। इस बात पर भी विचार किया जाए कि क्या पायलट को अगले चुनाव के लिए सीएम चेहरा बनाया जा सकता है? कांग्रेस नेताओं ने ये भी बताया कि पार्टी चाहती है गहलोत और पायलट एक साथ आएं और अगला चुनाव एकजुट होकर लड़ें।
राजस्थान में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में कांग्रेस पार्टी कोई जोखिम लेना नहीं चाहती है। यही वजह है कि पार्टी ने छत्तीसगढ़ में टीएस सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाकर वहां स्थिति संभालने की कोशिश की। अब आलाकमान राजस्थान में भी किसी न किसी फॉर्मूले से अशोक गहलोत और सचिन पायलट को साथ लाने की कवायद कर रहा। जिससे राजस्थान में कांग्रेस की सत्ता में फिर वापसी हो सके।
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