पन्ना जिला चिकित्सालय में दर्दनाक लापरवाही का मामला सामने आया है, जिसमें एक गर्भवती महिला और उसके अजन्मे बच्चे की मौत हो गई। अमानगंज निवासी रमन चौधरी को प्रसव पीड़ा के कारण रात में जिला अस्पताल लाया गया था। परिजनों का आरोप है कि महिला रातभर दर्द से तड़पती रही, लेकिन बार-बार कॉल करने के बावजूद महिला चिकित्सक डॉ. मीना नामदेव अस्पताल नहीं पहुंचीं। डॉक्टर की अनुपस्थिति और समय पर इलाज न मिलने के कारण जच्चा और बच्चा दोनों की मृत्यु हो गई।
जैसे ही यह खबर परिजनों और ग्रामीणों को लगी, अस्पताल परिसर में भारी हंगामा शुरू हो गया। मुख्य द्वार पर नारेबाजी की गई और तनाव का माहौल बन गया। हालात को काबू में लाने के लिए पुलिस को बुलाना पड़ा। अनुसूचित जाति संगठन के सदस्य भी मौके पर पहुंचे और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
मृतिका के पति प्रमोद चौधरी ने मीडिया को बताया कि उनकी पत्नी को कोई समय पर देख नहीं रहा था, और इलाज की भारी लापरवाही हुई। अनुसूचित जाति संगठन के सदस्य जीतेन्द्र सिंह जाटव ने भी आरोप लगाए कि यह मामला केवल लापरवाही नहीं बल्कि संवेदनहीनता का प्रतीक है।
अस्पताल प्रबंधन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पांच सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी है और प्रथम दृष्टया लापरवाही की पुष्टि की है। प्रभारी सिविल सर्जन ने कहा कि जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, परिजनों को समझाइश के बाद पोस्टमार्टम के लिए राजी किया गया, लेकिन सवाल अब भी बरकरार है—आखिर कब सुधरेगा यह सिस्टम?
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