हरियाणा के यमुनानगर जिले की जगाधरी अदालत ने 17 जुलाई 2025 को शहबाज खान उर्फ आशू को एक नाबालिग हिंदू लड़की के साथ आपराधिक साजिश और उत्पीड़न के दोष में सात साल की सख्त कैद की सजा सुनाई। अदालत की पीठासीन अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं फास्ट ट्रैक कोर्ट जज रंजना अग्रवाल ने फैसले में टिप्पणी की कि ‘‘यह संगठित अपराध देश की अखंडता के लिए खतरा है’’

मामले की पृष्ठभूमि:

  • पीड़िता के पिता की शिकायत पर 19 नवंबर 2024 को थाना शहर यमुनानगर में केस दर्ज हुआ था।
  • शिकायत में कहा गया था कि 14 वर्षीय छात्रा को समुदाय विशेष के नाबालिग लड़के ने दोस्ती के लिए दबाव डाला, पीछा किया व हाथ पकड़कर डराया-धमकाया।
  • कोर्ट में सुनवाई दौरान दोषी शहबाज खान ने माना कि उसने पुरानी अदावत से बदला लेने की नीयत से यूपी के सहारनपुर निवासी एक नाबालिग मुस्लिम लड़के की मदद से हिंदू लड़की से मित्रता करवाने, उसे घर से भगाने और परिवार में फूट डालने की कोशिश की।
  • पुलिस अनुसंधान और 17 गवाहियों के बाद ट्रायल पूरा हुआ।

अदालत का आदेश:

  • कोर्ट ने दोषी को BNS (Bharatiya Nyaya Sanhita) की धारा 25(1) के तहत सात साल सख्त कैद,
  • पोक्सो एक्ट की धारा 8 के तहत 4 साल सख्त कैद और 50,000 रुपये जुर्माना,
  • पोक्सो एक्ट की धारा 12 में 2 साल सख्त कैद व 30,000 रुपये जुर्माना,
  • और BNS की धारा 351(2) में 1 साल सख्त कैद व 20,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
  • जुर्माना न अदा करने पर 1 साल 9 महीने अतिरिक्त सजा का प्रावधान।

“लव जिहाद” शब्द की कानूनी स्थिति:

  • कोर्ट ने केस के दौरान यह स्पष्ट किया कि लव जिहाद शब्द को न तो BNS न ही पोक्सो कानून में कोई कानूनी मान्यता प्राप्त है
  • इस शब्द का प्रयोग राजनीतिक और सामाजिक विमर्श में होता है, कानूनी दायरे में नहीं

कोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणी:

  • फैसले में अदालत ने कहा कि हरियाणा में लव जिहाद एक वास्तविकता है, और इस तरह के संगठित प्रयास देश की संप्रभुता के लिए खतरा हैं।
  • सच बोलना जरूरी है, भले ही कड़वा हो। समाज की रक्षा के लिए ऐसे मामलों पर कठोर कार्रवाई जरूरी है।

डिफेंस की अपील:

  • दोषी ने कोर्ट से रहम की अपील करते हुए अपने छोटे बच्चों और बीमार माता-पिता का हवाला दिया, जिसे अदालत ने अस्वीकार कर दिया

टिप्पणी:

  • राज्य के जिला न्यायवादी गुलदेव टंडन व एडवोकेट अजय शक्ति गोयल ने मुकदमे की पैरवी की।
  • कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के संबद्ध फैसलों (अमीष देवगन बनाम भारत सरकार आदि) का भी अपने निर्णय में हवाला दिया।

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