उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां पाकिस्तान से वर्ष 1957 में लॉन्ग टर्म वीजा (LTV) पर भारत आए सिराजुल हक ने भारतीय नागरिक के रूप में फर्जी पहचान स्थापित कर ली थी। पिछले 15 वर्षों में सिराजुल ने सेटिंग और फर्जीवाड़े के जरिए भारत का पैन कार्ड बनवाया, और उसी के आधार पर आधार कार्ड, वोटर आईडी, और आयुष्मान भारत कार्ड जैसे दस्तावेज भी हासिल कर लिए।
इतना ही नहीं, इन दस्तावेजों की सहायता से सिराजुल ने भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार की अनेक जनकल्याणकारी योजनाओं का भी लाभ उठाया। इस पूरे फर्जीवाड़े में उसे मदद मिली दो भारतीय नागरिकों — चांद अख्तर और शेख सूबेदार — से, जिन्होंने दस्तावेज तैयार कराने और प्रक्रिया पूरी कराने में सहयोग किया।
कुशीनगर पुलिस ने सिराजुल समेत तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि सिराजुल जैसे लाखों लोग भारत में LTV पर आए और अब अवैध रूप से बसे हुए हैं, जिन्होंने फर्जी पहचान पत्र बनवाकर भारत की नागरिकता से जुड़ी सुविधाएं प्राप्त कर ली हैं। ये लोग राशन कार्ड, आयुष्मान योजना, पेंशन, और अन्य सरकारी लाभ योजनाओं का लाभ वर्षों से उठा रहे हैं, जिससे न केवल सरकारी तंत्र को नुकसान हो रहा है बल्कि देश की सुरक्षा पर भी गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े हो रहे हैं।
प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं और ऐसे सभी अवैध रूप से रह रहे लोगों की पहचान करने के लिए विशेष अभियान चलाने की तैयारी की जा रही है। यह मामला एक बड़ा संकेत है कि किस तरह सरकारी व्यवस्था में सेंध लगाकर कुछ लोग न केवल अवैध लाभ ले रहे हैं बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए भी खतरा बनते जा रहे हैं।
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