पब्लिक फर्स्ट | नई दिल्ली |

IAF ने नए नाम और काम का प्रस्ताव डिफेंस मिनिस्ट्री को दिया, स्पेस डॉक्ट्रिन पहले से तैयार

इंडियन एयर फोर्स (IAF) ने हवा के साथ-साथ स्पेस में भी ताकत जुटानी शुरू कर दी है। IAF अब स्पेस के सिविल और मिलिट्री दोनों पहलुओं का उपयोग करने के लिए विचार कर रही है, जिसके लिए उसने इंफ्रास्ट्रक्चर और थिओरेटिकल फ्रेमवर्क तैयार किया है।

इस नए रोल के लिए IAF ने अपना नाम भी तय कर लिया है- इंडियन एयर एंड स्पेस फोर्स। एयर फोर्स ने नए नाम का प्रस्ताव डिफेंस मिनिस्ट्री में भेजा है। मिनिस्ट्री की ओर से मंजूरी मिलते ही एयर फोर्स का नया नाम और काम पब्लिक किया जाएगा।

साथ ही, डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस एजेंसी की मदद से IAF अपना स्पेस डॉक्ट्रिन पहले ही तैयार कर चुका है। इस डॉक्ट्रिन में स्पेस मिलिट्री पावर से जुड़े नियमों और गाइडलाइन को शामिल किया गया है।

स्पेस के लिए जवानों की स्पेशल ट्रेनिंग होगी
स्पेस की जरूरतों के हिसाब से एयर फोर्स ने अपने जवानों की ट्रेनिंग का खाका भी खींच लिया है। इसके लिए हैदराबाद में स्पेस वॉर ट्रेनिंग कमांड सेंटर बन रहा है। इस सेंटर में स्पेस लॉ की ट्रेनिंग के लिए अलग कॉलेज बनेगा, जिसमें इंटरनेशनल स्पेस लॉ को अच्छे से जानने-समझने वाली प्रोफेशनल फोर्स तैयार होगी।

दरअसल, मौजूदा इंटरनेशनल नियमों के तहत स्पेस के मिलिट्री उपयोग की मनाही है। स्पेस लॉ कॉलेज में एयर फोर्स जवानों को सिखाया जाएगा कि किस तरह इन नियमों का पालन करते हुए स्पेस का बेहतर इस्तेमाल करना है।

IAF की सैटेलाइट फ्लीट 31 उपग्रह छोड़ेगी
स्पेस फोर्स बनने के लिए IAF ने स्पेस सैटेलाइट की एक बड़ी फ्लीट तैयार करने का भी फैसला किया है। इस प्रोजेक्ट के तहत 31 सैटेलाइच IAF के लिए स्पेस में छोड़े जाएंगे। इनका उपयोग कम्युनिकेशन, वेदर प्रिडिक्शन, नेवीगेशन, रियल टाइम सर्विलांस जैसे ऑपरेशन के लिए किया जाएगा।

एयर फोर्स ने तय किया है कि इन सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग के लिए होने वाले खर्च का 60 फिसदी का हिस्सा वो खुद उठाएगी। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) एवं डिफेंस रिसर्ज एंड डेवलवमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) पर ऐसी लॉन्चिंग्स की अहम जिम्मेदारी होगी।

तीनों सेनाओं की ज्वाइंट स्पेस कमान
एयर फोर्स प्रशासनिक स्तर पर एक ऐसी ज्वाइंट स्पेस कमान का गठन भी चाहती है, जिसमें सेना के तीनों हिस्सों की हिस्सेदारी हो। इस कमान में ISRO एवं DRDO जैसे संगठनों को भी शामिल किया जाएगा। साथ ही एयरोस्पेस से जुड़ीं निजी कंपनियों को भी इसमें शामिल करने का प्रस्ताव है।

भविष्य में अंतरिक्ष ही जंग का मैदान, इसलिए खुद की सुरक्षा जरूरी
एयर फोर्स के एक हाई रैंक ऑफिसर ने बताया कि स्पेस के हथियारबंदी की शुरुआत हो चुकी है। भविष्य की लड़ाइयां जमीन, समुद्र, आसमान के साथ ही साइबर और स्पेस में भी लड़ी जाएंगी। हमें भी अपने अहम ठिकानों की सुरक्षा के लिए स्पेस में अपनी डिफेंसिव और ऑफेंसिव दोनों ताकतों को बढ़ाना होगा। स्पेस में हमें शुरू में ही फायदा उठाना चाहिए और खुद को भविष्य के लिए तैयार करना चाहिए।

डिफेंस मिनिस्ट्री को भेजा प्रस्ताव
एयर फोर्स ने DRDO से ऐसे एयरक्राफ्ट पर भी काम करने को कहा है, जो दूसरे अंतरिक्ष में भी उड़ान भर सके। इसके लिए एयरफोर्स ने अपनी जरूरतें और इंटेलेक्चुअल इनपुट DRDO के साथ साझा किए हैं।

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