पब्लिक फर्स्ट।

फिल्म अजमेर 92 आज रिलीज हो रही है। इसकी कहानी देश के सबसे बड़े रेप स्कैंडल पर बेस्ड है, जो राजस्थान के अजमेर में हुआ था। करीब 250 लड़कियों को उनके आपत्तिजनक फोटो और वीडियो से ब्लैकमेल कर महीनों तक रेप किया गया। इस कांड में अजमेर के रसूखदार लोग शामिल थे। जब 1992 में इसका खुलासा हुआ तो पूरा देश सन्न रह गया था।

इस स्कैंडल पर सबसे पहले खबर वहां के अखबार दैनिक नवज्योति ने छापी थी, जिसके बाद लोगों को इस घिनौने अपराध के बारे में पता चला। 1992 में दैनिक नवज्योति के चीफ एडिटर दीनबंधु चौधरी थे। एक रिपोर्टर की लाई पहली खबर से ही उन्होंने इस कांड की परतें खोली थीं।

अजमेर 92 की रिलीज के मौके पर हमने इस केस के खुलासे के पीछे की कहानी जानने के लिए उन्हीं से बात की। दीनबंधु चौधरी ने हमें बताया कि कैसे एक रिपोर्टर की खबर से इस पूरे कांड का खुलासा हुआ।

आइए जानते हैं अजमेर ब्लैकमेलिंग कांड के खुलासे से जुड़ी सारी बातें नवज्योति के चीफ एडिटर दीनबंधु चौधरी से…

स्कैंडल के बारे में कब पता चला?
1992 में हमारे एक रिपोर्टर संतोष गुप्ता थे। वो एक खबर लेकर आए और उसे पब्लिश की, लेकिन उस खबर पर किसी का ध्यान नहीं गया, जबकि वो बहुत ही सीरियस खबर थी। फिर वो मेरे पास आए और इस स्कैंडल के बारे में जानकारी दी।

अजमेर के अनाज मंडी में एक भरोसा लेबोरेटरी थी। वहां पर फिल्म्स के निगेटिव पर काम होता था। उसी लैब के पास मैं खड़ा था तभी एक शख्स आया और 4 रील खरीदी, लेकिन उस रील के बदले उसने चौगुना पैसा दिया। ये देखकर मैं हैरान रह गया और सोचने लगा कि उस रील में क्या खास था? वहां पर मेरे साथ एक दोस्त था, उससे मैंने इसके पीछे की कहानी जाननी चाही। पहले तो उसने मना कर दिया, लेकिन मेरी जिद की वजह से उसने 4 रील मुझे दे दी। जब मैंने वो रील देखी तो उसमें लड़कियों के रेप वीडियोज और फोटोज थीं।

जब यह सब मैंने सुना तो रिपोर्टर संतोष से कहा कि वो इसी न्यूड फोटोज को खबर में छाप दें। मैंने ऐसा कदम इसीलिए उठाया क्योंकि ऐसे भयानक स्कैंडल को खत्म करने के लिए ये जरूरी था। हालांकि, फोटोज में जो प्राइवेट पार्ट थे, उन पर हमने काली पट्टी लगाकर बाकी सब छाप दिया था। दूसरे दिन जब ये खबर लोगों के सामने आई, तो जबरदस्त हल्ला मच गया। इस खबर के सामने आते ही बार एसोसिएशन के सारे वकील इकट्ठा हो गए और SP और कलेक्टर के पास पहुंच गए। फिर उन्होंने इस केस में कार्रवाई की मांग की। उनके इस कदम से कानूनी कार्रवाई शुरू हुई।

इस स्कैंडल की शुरुआत कहां से हुई?
चौधरी कहते हैं, अजमेर में एक श्रीहरि रोड है, जहां पर कोई एक कॉलेज था। एक दिन उस नामी कॉलेज के बाहर से एक लड़की रोती हुई जा रही थी। तभी कुछ रसूखदार लड़के गाड़ी से कहीं जा रहे थे। जब उन्होंने उस रोती हुई लड़की को देखा तो वो उस लड़की के पास गए और रोने का कारण पूछा। इस पर उस लड़की ने बताया कि उसके पास पैसे नहीं हैं, जिस वजह से कॉलेज वाले एडमिट कार्ड नहीं दे रहे। उन लड़कों ने लड़की को ढांढस बधाया और उसकी फीस जमा कर दी।

फिर रोज उस लड़की से मिलते रहे। एक दिन उस लड़की को घर छोड़ने के बहाने वैन में बैठा लिया। फिर वो उस लड़की को हटूंडी में अपने फार्म हाउस ले गए और उसके साथ रेप किया। फिर उन्होंने रेप के दौरान ही उसके साथ कई न्यूड तस्वीरें उतारीं। इसके बाद वो उस लड़की को रोज बुलाते और उसका रेप करते थे।

किसी को बताने पर फोटोज वायरल करने की धमकी देते। कुछ दिनों बाद उन लड़कों ने कहा कि वो अपनी दोस्त को साथ में लाए। पहले तो उस लड़की ने मना कर दिया, लेकिन फोटो वायरल हो जाने के डर से वो अपनी दोस्त को साथ ले गई। फिर उन लड़कों ने उस लड़की का भी रेप किया। फिर उन्होंने उन दोनों लड़कियों से और लड़कियों को लाने के लिए कहा। ऐसे ही करके बहुत सारी लड़कियां इस जाल में फंसती गईं।

खबर पब्लिश करने पर जाने से मारने की धमकी मिली?
रात के 12 बजे टेलीफोन आता। वो लोग मुझे ये खबर छापने से मना करते थे। मैं उन लोगों से डरता नहीं था। हर बार उनका कॉल उठाता था और कहता था, कायरों सामने आकर मुझसे बात करो। वो मुझे जान से मारने की धमकी भी देते थे, लेकिन मैं इन सब बातों से डरा नहीं बल्कि अपना काम करता गया।

उस वक्त राजस्थान के मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत थे। वो मेरे पिता कप्तान दुर्गा प्रसाद चौधरी के बहुत अच्छे दोस्त थे। उन्होंने मुझे फोन किया और इन खबरों को छापने से मना किया। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से मेरी जान पर बन सकती है। उन्होंने ये सारी बातें मेरी भलाई के लिए कहीं थीं, क्योंकि उन्हें पता था कि मुझे जान से मारने की धमकी मिल रही है। मैंने उनसे कहा- सर थैंक्यू, लेकिन मैं अब अपने कदम पीछे नहीं ले सकता। ये खबरें छपती रहेंगी।

फिर उन्होंने SP को फोन किया और मेरे घर दो गनर तैनात करने के आदेश दिए। जब SP गनर लेकर पास आए तो मैंने मना कर दिया। अगर मैं वो सिक्योरिटी ले लेता, तो मुजरिम को लगता कि मैं उन लोगों से डर गया हूं। फिर उन्होंने मुझसे कहा कि अगर मैं सिक्योरिटी नहीं लेना चाहता, कोई बात नहीं, लेकिन जब भी मैं घर से ऑफिस के लिए जाऊं, तो हमेशा रूट चेंज करके ही जाया करूं। मैंने उनकी ये बात मान ली थी। हालांकि, अभी तक ऐसा दिन नहीं आया था कि किसी ने मुझे नुकसान पहुंचाया हो। बस धमकियां मिलती रहीं।

1992 से नहीं 1990 से हुई थी इस स्कैंडल की शुरुआत
इस स्कैंडल की जानकारी लोगों को नवज्योति में खबर छपने के बाद हुई थी, लेकिन इसकी शुरुआत 1990 से हुई थी। द प्रिंट की रिपोर्ट्स के मुताबिक, पहली लड़की के रेप के बाद ये स्कैंडल इतनी तेजी से बढ़ा कि इसमें कई स्कूलों और कॉलेज की लड़कियां शिकार हुईं। अधिकतर लड़कियों की उम्र 16-17 साल थी। रेप के बाद उन लड़कियों के वीडियो बनते, फोटो खींचे जाते और उसी के आधार पर उन्हें फिर से रेप के लिए बुलाया जाता था।

लड़कियों को धमकी दी जाती थी कि वो अगर इस बात की जानकारी किसी को देंगी तो वो ये फोटोज और वीडियोज लीक कर देंगे।

कैसे वीडियोज और फोटोज लीक होने का सिलसिला शुरू हुआ?
आरोपियों ने फोटो रील डेवलप होने के लिए जिस लैब में दिए, वहीं से न्यूड तस्वीरें लीक हो गईं। न्यूड तस्वीरें देख लैब के कर्मचारियों की नीयत बिगड़ गई। उन्हीं के माध्यम से बाजार में तस्वीरें आ गईं। मास्टर प्रिंट तो कुछ ही लोगों के पास थे, लेकिन इनकी कॉपियां शहर में सर्कुलेट होने लगीं। ये तस्वीरें जिसके भी हाथ लगीं, उसने भी लड़कियों को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। इसी बीच एक-एक कर कॉलेज की 6 लड़कियों ने सुसाइड कर लिया।

कौन रसूखदार लोग थे इसके पीछे?
जांच के बाद अजमेर शहर यूथ कांग्रेस प्रेसिडेंट, वाइस प्रेसिडेंट और जॉइंट सेक्रेट्री के साथ-साथ कुछ रईसजादों के नाम सामने आए। केस के मास्टरमाइंड अजमेर यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष फारूक चिश्ती, नफीस चिश्ती और अनवर चिश्ती थे। रसूखदारों के नाम सामने आते ही पुलिस मामले को दबाने में लग गई। बात बिगड़ती देख राजस्थान की तत्कालीन भैरोंसिंह शेखावत सरकार ने जांच CID को दे दी। इस केस में कुल 18 लोगों पर आरोप लगे थे।

2 लड़कियों के बयान पर 11 की गिरफ्तारी हुई
इसमें कई लड़कियां थीं जो इस गलत काम के बाद ही खुद की पहचान छिपा कर रखना चाहती थीं। इसी वजह से कईयों ने अपने ठिकाने बदल लिए थे, तो कईयों ने अपने नाम। कई लड़कियों के बारे में तो कोई जानकारी भी नहीं है। वो कहां गईं, कुछ भी नहीं पता।

पुलिस का उन लड़कियों को पूरा सपोर्ट था, फिर भी डर से कोई भी बयान देने को तैयार नहीं था। बाद में एक NGO ने वायरल फोटोज के जरिए 30 लड़कियों की पहचान की। फिर उनसे इस मसले पर बात की गई। बदनामी के डर की वजह से अधिकतर लोगों ने अपने कदम पीछे खींच लिए। बड़ी मुश्किल के बाद 12 लड़कियां केस दर्ज कराने के लिए राजी हुईं। जब ये बात रसूखदार परिवार को पता चली, तो उन्होंने इन 12 लड़कियों को धमकाना शुरू कर दिया, जिस कारण 10 लड़कियों ने अपने नाम वापस ले लिए। फिर बची हुई 2 लड़कियों ने 16 अपराधियों की पहचान बताई, जिसमें से पुलिस सिर्फ 11 को अरेस्ट कर पाई।

इन 18 दोषियों के खिलाफ केस दर्ज हुआ
हरीश दोला (कलर लैब का मैनेजर), फारुख चिश्ती (तत्कालीन यूथ कांग्रेस प्रेसिडेंट), नफीस चिश्ती (तत्कालीन यूथ कांग्रेस वाइस प्रेसिडेंट), अनवर चिश्ती (तत्कालीन यूथ कांग्रेस जॉइंट सेक्रेटरी), पुरुषोत्तम उर्फ बबली (लैब डेवलपर), इकबाल भाटी, कैलाश सोनी, सलीम चिश्ती, सोहैल गनी, जमीर हुसैन, अल्मास महाराज, इशरत अली, मोइजुल्लाह उर्फ पूतन इलाहाबादी, परवेज अंसारी, नसीम उर्फ टारजन, महेश लोदानी (कलर लैब का मालिक), शम्सू उर्फ माराडोना (ड्राइवर), जऊर चिश्ती (लोकल पॉलिटिशियन)।

कोई बुर्के में पकड़ा गया तो कोई विदेश भागा
सलीम चिश्ती को लगभग 20 साल बाद 2012 में बुर्के में पकड़ा गया। बाद में वो बेल पर छूट गया। नफीस को लगभग 11 साल बाद 2003 में पकड़ा गया। बाद में वो भी बेल पर छूट कर आ गया। सोहेल गनी चिश्ती ने लगभग 26 साल बाद 15 दिसंबर 2018 को सरेंडर कर दिया। वो भी बेल पर छूट कर आ गया। जमीर हुसैन को एंटीसिपेटरी बेल मिल गई। इकबाल भाटी को लगभग 13 साल बाद 2005 में पकड़ा गया, फिर बेल पर छूट गया। इस मामले में एक आरोपी अल्मास महाराज आज तक फरार है। उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी है।

किस हाल में हैं आरोपी
इस केस के एक आरोपी पुरुषोत्तम उर्फ बबली ने जमानत पर बाहर आते ही सुसाइड कर लिया। नसीम उर्फ टारजन अंतरिम जमानत मिलने के बाद फरार हो गया। बाद में 2010 में पुलिस के हत्थे चढ़ा। मुख्य आरोपी फारूक चिश्ती को ‘सिजोफ्रेनिया’ नाम की बीमारी के बाद मानसिक रोगी घोषित कर दिया गया। हालांकि बाद में राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला दिया कि उसने पर्याप्त सजा काट ली, जिसके बाद उसे बरी कर दिया गया। फिलहाल वो अजमेर में है।

फिल्म भी विवादों में
अजमेर 92 फिल्म इसी स्कैंडल पर आधारित है। मूवी को लेकर मुस्लिम समाज के प्रतिनिधियों और अजमेर शरीफ दरगाह कमेटी के पदाधिकारियों ने कड़ी आपत्ति जताई है। फिल्म के माध्यम से एक ही कम्युनिटी के लोगों को टारगेट करने का आरोप लगाया है। दरगाह कमेटी की ओर से चेतावनी भी दी गई है कि अजमेर शरीफ दरगाह और ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की इमेज को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही पूरे देश में शांतिपूर्ण विरोध करने की चेतावनी भी दी गई है। अजमेर 92 फिल्म को रिलीज करने से पहले दरगाह कमेटी को फिल्म दिखाने की मांग भी की गई है, जिससे कि विवाद खड़ा ना हो।

publicfirstnews.com

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