जम्मू और कश्मीर के चिनार वृक्षों, जो राज्य की सांस्कृतिक धरोहर माने जाते हैं, अब “डिजिटल आधार” से जुड़ गए हैं। यह कदम राज्य वन विभाग और वन अनुसंधान संस्थान द्वारा पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से उठाया गया है। इस पहल के तहत, GIS (जियोग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम) तकनीक का उपयोग करते हुए चिनार वृक्षों का एक विस्तृत संरक्षण डेटाबेस तैयार किया जा रहा है।
डॉ. सैयद तारेक ने बताया कि यह पहल 2021 में शुरू की गई थी। पिछले चार वर्षों में विभाग ने 28,560 चिनार वृक्षों का सफलतापूर्वक जियो-टैगिंग किया है। इस प्रक्रिया में प्रत्येक चिनार वृक्ष पर एक QR-आधारित डिजिटल प्लेट लगाई जाती है, जो एक विशेष स्प्रिंग-इनेबल्ड धातु से जुड़ी होती है। यह प्लेट वृक्ष की वृद्धि के साथ 50 वर्षों तक सुरक्षित रहती है, बिना छाल में समाहित हुए। डॉ. तारेक ने कहा, “हर नागरिक इस QR कोड को स्कैन करके इन धरोहर वृक्षों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकेगा।”
वृक्षों के महत्वपूर्ण लक्षणों का रिकॉर्ड
इस परियोजना के समन्वयक ने बताया कि जियो-टैगिंग की प्रक्रिया मानक प्रोटोकॉल का पालन करते हुए की जाती है। इसमें प्रत्येक चिनार वृक्ष के 25 महत्वपूर्ण लक्षणों को रिकॉर्ड किया जाता है, जिन्हें चिनार वृक्ष रिकॉर्ड फॉर्म (CTRF-25) में दर्ज किया जाता है। इन लक्षणों में वृक्ष का भौगोलिक स्थान, स्थिति, स्वास्थ्य, ऊंचाई, छाती की ऊंचाई पर व्यास (DCH), परिधि, साफ बोल ऊंचाई, मुकुट की लंबाई और अन्य टिप्पणी शामिल हैं।
श्रीनगर में सबसे अधिक चिनार वृक्ष
डॉ. तारेक ने बताया कि श्रीनगर में चिनार वृक्षों की सबसे अधिक संख्या पाई जाती है, इसके बाद गंदरबल, अनंतनाग और बारामुला जिलों का स्थान आता है। दिलचस्प बात यह है कि गंदरबल जिले में एक ऐसा चिनार वृक्ष पाया गया है, जिसे एशिया का सबसे बड़ा चिनार वृक्ष माना जाता था। इस वृक्ष की छाती की ऊंचाई पर परिधि (GBH) 22.25 मीटर है और इसकी ऊंचाई 27 मीटर है।
भविष्य की योजना
उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में 10,000 और चिनार वृक्षों को जियो-टैग किया जाएगा। इन वृक्षों पर भी स्कैन करने योग्य QR प्लेट्स लगाई जाएंगी, जिससे हर वृक्ष के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की जा सकेगी।
यह परियोजना Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority (CAMPA) योजना द्वारा वित्तपोषित की जा रही है, जो पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कदम है।
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