पब्लिक फर्स्ट । भोपाल । पुनीत पटेल ।
मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआईएस) भोपाल के माध्यम से मध्यप्रदेश का स्टार्ट-अप इकोसिस्टम वैश्विक स्तर पर पहुंच गया है। प्रदेश तेजी से एक मजबूत स्टार्ट-अप हब के रूप में उभर रहा है, जहां नवाचार, उद्यमिता और रोजगार सृजन को प्राथमिकता दी जा रही है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि सरकार युवा उद्यमियों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करने हेतु प्रभावी रणनीतियाँ अपना रही है, जिससे मध्यप्रदेश “स्टार्ट-अप और नवाचार का केंद्र” बन सके। जीआईएस-भोपाल में आयोजित ‘फ्यूचर-फ्रंटियर: स्टार्ट-अप पिचिंग’ सत्र ने प्रदेश के स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को वैश्विक पहचान दिलाई है।
महिलाओं, अनुसूचित जाति और जनजाति के उद्यमियों के स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार पहले निवेश पर 18 प्रतिशत, अधिकतम 18 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। वर्तमान में, मध्यप्रदेश में 4,900 से अधिक स्टार्ट-अप्स संचालित हो रहे हैं, जिनमें से लगभग 44 प्रतिशत महिलाओं द्वारा संचालित हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने यह भी कहा कि ‘स्टार्ट-अप इंडिया’ के तहत पंजीकृत स्टार्ट-अप्स की संख्या को 100 प्रतिशत तक बढ़ाने और कृषि एवं खाद्य क्षेत्र में स्टार्ट-अप्स को 200 प्रतिशत तक प्रोत्साहित करने का लक्ष्य है। इसके अलावा, राज्य सरकार ने ‘मध्यप्रदेश स्टार्टअप पॉलिसी 2025’ लागू की है, जो स्टार्ट-अप्स के जीवन चक्र के प्रत्येक चरण में सहायता प्रदान करती है। इस नीति के तहत, प्रत्येक स्टार्ट-अप को 12 महीने तक प्रति माह 10,000 रुपये की वित्तीय सहायता, 100 करोड़ रुपये का स्टार्ट-अप कैपिटल फंड, और प्रति स्टार्ट-अप अधिकतम 30 लाख रुपये तक का सीड अनुदान दिया जा रहा है। 
इन प्रयासों से मध्यप्रदेश में स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा मिल रहा है, जिससे प्रदेश नवाचार और उद्यमिता का प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है।