पब्लिक फर्स्ट । भोपाल । राजेश सक्सेना ।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने घोषणा की है कि भगवान श्रीकृष्ण पाथेय के विकास के लिए मध्यप्रदेश और राजस्थान सरकारें मिलकर कार्य करेंगी। दोनों राज्य इस संदर्भ में एकमत हैं और संयुक्त प्रयासों से श्रीकृष्ण पाथेय का समग्र विकास सुनिश्चित करेंगे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सुझाव दिया है कि इस परियोजना में पुरातत्वविदों, धर्माचार्यों और भगवान श्रीकृष्ण साहित्य के प्रतिष्ठित लेखकों को भी शामिल किया जाए। उन्होंने यह भी प्रस्तावित किया कि समिति की बैठकें भोपाल के अलावा उज्जैन, जयपुर, भरतपुर, ब्रज या चौरासी कोस जैसे विशिष्ट स्थलों पर आयोजित की जाएं, जिससे दोनों राज्यों में श्रीकृष्ण पाथेय के प्रति सकारात्मक वातावरण का निर्माण हो सके।

मुख्यमंत्री ने उल्लेख किया कि पुरातन इतिहास में भगवान श्रीकृष्ण के भारत के विभिन्न क्षेत्रों में आवागमन का उल्लेख मिलता है। समिति का उद्देश्य इन सभी गमन स्थलों को चिन्हित कर उनका अभिलेखीकरण करना होगा।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि प्रदेश में धार्मिक त्योहारों में सरकार की सहभागिता बढ़ी है। उन्होंने कहा, “हमने दशहरे में शस्त्र पूजा, दीपावली पर गोवर्धन पूजा और हाल ही में गीता जयंती भी मनाई है।”

उल्लेखनीय है कि हाल ही में मध्यप्रदेश सरकार ने ‘श्रीकृष्ण पाथेय न्यास’ के गठन को स्वीकृति दी है, जिसका उद्देश्य भगवान श्रीकृष्ण से संबंधित स्थलों का संरक्षण और संवर्धन करना है। इस न्यास के माध्यम से शिक्षा, संस्कृति, कृषि, गौ एवं पशुधन संवर्धन की विरासत का विकास किया जाएगा। न्यास द्वारा भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों, जल संरचनाओं, वन संपदा, उद्यान आदि की सुरक्षा, संरक्षण, संवर्धन एवं प्रबंधन किया जाएगा। 

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश सरकार भगवान श्रीकृष्ण पाथेय के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और राजस्थान सरकार के साथ मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है।

publicfirstnews.com

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