मध्यप्रदेश सहकारी अधिनियम में संशोधन:
मध्यप्रदेश विधानसभा ने सहकारी अधिनियम में संशोधन पारित किया है, जिसका उद्देश्य सहकारी आंदोलन को मजबूती प्रदान करना, उसकी पवित्रता और पारदर्शिता को बढ़ाना, और नागरिकों को नए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है। सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग ने इस संशोधन के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
• सहकारी समितियों का त्वरित पंजीकरण:
अब नई सहकारी समिति के पंजीकरण की प्रक्रिया 90 दिनों के बजाय मात्र 30 दिनों में पूरी होगी, जिससे समितियों का गठन तेजी से हो सकेगा।
• सदस्यों के हस्ताक्षर की अनिवार्यता:
कोऑपरेटिव सोसाइटी के रजिस्ट्रेशन के लिए अब सभी सदस्यों के हस्ताक्षर अनिवार्य कर दिए गए हैं, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी।
• न्यायाधिकरण में नियुक्तियाँ:
ट्रिब्यूनल में सेवानिवृत्त संयुक्त रजिस्ट्रार (जेआर) या उनसे वरिष्ठ अधिकारियों को सदस्य के रूप में नामित किया जाएगा, जिससे न्यायिक प्रक्रियाओं में अनुभव और विशेषज्ञता का लाभ मिलेगा।
• सीपीपीपी मॉडल का समावेश:
सार्वजनिक-निजी-जन भागीदारी (CPPP) मॉडल को सहकारी अधिनियम का हिस्सा बनाया गया है, जिससे सहकारी समितियाँ कंपनियों के साथ मिलकर कार्य कर सकेंगी और उन्हें मजबूती मिलेगी।
• कृषि आधारित उत्पादों के लिए पहल:
एग्री-बेस्ड उत्पादों के कच्चे माल के लिए नई शुरुआत की गई है, जिससे किसानों, सहकारी समितियों और निवेशकों को लाभ मिलेगा।
कांग्रेस द्वारा सहकारी समितियों के चुनाव न करवाने के आरोपों पर मंत्री सारंग ने स्पष्ट किया कि मध्यप्रदेश में जल्द ही चुनाव होंगे। अधिनियम में प्राथमिक कृषि साख समितियों (PACS) के चुनाव 6 माह में कराने का प्रावधान है, जिसे नहीं बदला गया है। केवल विशेष परिस्थितियों में, जब चुनाव संभव नहीं होंगे, तभी सरकार समितियों के कार्यकाल को बढ़ा सकती है।
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