भोपाल स्थित भारतीय सेना की प्रतिष्ठित स्ट्राइक कोर, सुदर्शन चक्र कोर, अपनी अद्वितीय युद्धक क्षमता और पराक्रम के लिए जानी जाती है। इस कोर का मुख्यालय ‘द्रोणाचल टॉप’ पर स्थित है, जिसे ‘द्रोणा’ भी कहा जाता है।
सुदर्शन चक्र कोर का इतिहास गौरवशाली अभियानों से भरा है। यह कोर 2001-2002 में ऑपरेशन पराक्रम और फरवरी 2004 में ऑपरेशन अमन में सक्रिय रूप से शामिल रही है। इसके अलावा, 2004 में सुनामी के बाद ऑपरेशन रेनबो के तहत इंजीनियर और मेडिकल टीमों को आपदा राहत कार्यों के लिए भेजा गया था। 
मार्च 2024 में, बबीना फील्ड फायरिंग रेंज में एक युद्ध अभ्यास आयोजित किया गया, जिसमें नए उपकरणों और ड्रोन का उपयोग किया गया। इस अभ्यास में वायु सेना के फाइटर कंट्रोलर और फाइटर एयरक्राफ्ट ने भी भाग लिया, जिससे संयुक्त युद्ध कौशल का प्रदर्शन हुआ।  
अक्टूबर 2024 में, ‘स्वावलंबन शक्ति’ नामक छह दिवसीय अभ्यास में सुदर्शन चक्र कोर ने स्वदेशी तकनीकों का सफलतापूर्वक एकीकरण किया, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ की पहल के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इसमें 1,800 से अधिक कर्मियों और 210 बख्तरबंद वाहनों ने भाग लिया। 
अप्रैल 2024 में, कोर ने भारतीय नौसेना की मोटरसाइकिल अभियान टीम ‘राइनो राइड’ को सम्मानित किया, जो मुंबई से असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान तक 3,000 किमी की यात्रा पर निकली थी। 
मई 2024 में, सुदर्शन चक्र कोर ने अपना 35वां स्थापना दिवस मनाया, जिसमें लेफ्टिनेंट जनरल प्रीत पाल सिंह ने शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की और सैनिकों को ‘सेवा परमो धर्म’ के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने के लिए प्रेरित किया। 
- दुश्मन सुदर्शन के नाम से काँपते है
सुदर्शन चक्र कोर की युद्धक क्षमता, राष्ट्र के प्रति समर्पण और अद्वितीय पराक्रम इसे भारतीय सेना का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बनाते हैं, जो देश की सुरक्षा और सम्मान की रक्षा में सदैव अग्रसर रहता है।
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