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इस साल जन्माष्टमी की तारीख को लेकर पंचांग भेद हैं। कुछ जगह 6 और कुछ 7 सितंबर को ये पर्व मनाया जाएगा। द्वापर युग में भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण अवतार लिया था। उस दिन भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि थी। इस बार ये तिथि दो दिन रहेगी।

द्वापर युग में श्रीकृष्ण के जन्म के समय भाद्रपद कृष्ण अष्टमी, रोहिणी नक्षत्र, वृषभ राशि का चंद्र और बुधवार था। जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल का अभिषेक करना चाहिए। अभिषेक के लिए दक्षिणावर्ती शंख का उपयोग करेंगे तो बेहतर रहेगा।

बाल गोपाल की पूजा में ध्यान रखें ये बातें

1 भगवान के अभिषेक के लिए केसर मिश्रित दूध का इस्तेमाल करें। कच्चे दूध में केसर डालें और जब दूध केसरिया हो जाए, तब उससे भगवान का अभिषेक करें।

2 भगवान विष्णु और उनके अवतारों के साथ ही महालक्ष्मी की पूजा में दक्षिणावर्ती शंख का इस्तेमाल किया जाता है। शंख को देवी लक्ष्मी का भाई माना जाता है, क्योंकि ये दोनों समुद्र से ही उत्पन्न हुए हैं। इस शंख में दूध भरें और भगवान का अभिषेक करें।

3 दूध से अभिषेक करने के बाद स्वच्छ जल से अभिषेक करना चाहिए। आप चाहें तो पंचामृत से भी भगवान को स्नान करा सकते हैं। पंचामृत दूध, दही, घी, शकर और शहद मिलाकर बनाना चाहिए।

4 अभिषेक के बाद भगवान को सुंदर पीले चमकीले वस्त्र पहनाएं। हार-फूल से श्रृंगार करें। चंदन से तिलक लगाएं। भगवान के मस्तक पर मुकुट पहनाएं, पूजा में मोरपंख भी रखें।

5 श्रृंगार के बाद भगवान को माखन-मिश्री, मिठाई का भोग तुलसी के साथ लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। आरती के बाद भगवान से पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगें। अंत में प्रसाद बांटें और खुद भी लें।

6 जन्माष्टमी पर श्रीमद् भगवद् गीता के अध्यायों का, गीता सार का, हरिवंश पुराण का पाठ भी कर सकते हैं।
पूजा में कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र जप कम से कम 108 बार करेंगे तो शुभ रहेगा। इसके लिए तुलसी की माला का इस्तेमाल करें।
इस पर्व पर किसी पौराणिक कृष्ण मंदिर में दर्शन-पूजन करें। इस पर्व पर मथुरा, वृंदावन, गोकुल, गिरिराज की यात्रा की जाती है। भक्त यमुना जी में स्नान करते हैं।

7 यमुना जी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो अपने शहर के आसपास किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं।

8 जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करते हैं। इस दिन जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा से संबंधित चीजें भी दान करनी चाहिए। किसी गोशाला में धन और अनाज का दान भी जरूर करें।

9 पूजा में कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र जप कम से कम 108 बार करेंगे तो शुभ रहेगा। इसके लिए तुलसी की माला का इस्तेमाल करें।

10 इस पर्व पर किसी पौराणिक कृष्ण मंदिर में दर्शन-पूजन करें। इस पर्व पर मथुरा, वृंदावन, गोकुल, गिरिराज की यात्रा की जाती है। भक्त यमुना जी में स्नान करते हैं।

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