इंडिया फर्स्ट। पॉलिटिकल डेस्क।
हाइलाईट- आजादी के बाद 20 बार हुए चुनाव, 52% मुस्लिम वाले रामपुर में पहली बार हिंदू विधायक रामपुर उपचुनाव में बीजेपी ने सपा को हराया आकाश सक्सेना रामपुर के पहले हिंदू विधायक आकाश सक्सेना ने एसपी के आसिम रजा को हराया
भारतीय जनता पार्टी ने यहां समाजवादी पार्टी को आखिरकार पटखनी दे दी है। बीजेपी के आकाश सक्सेना ने इस जीत के साथ न सिर्फ पहली बार यूपी की विधानसभा में अपना मार्ग प्रशस्त किया है बल्कि भगवान राम के नाम वाले रामपुर में पहले हिंदू विधायक के तौर पर अपना नाम इतिहास में दर्ज करा लिया है। साल 1952 से रामपुर में हो रहे चुनाव में पहली बार किसी हिंदू प्रत्याशी को जीत मिली है। रामपुर में आजम खान के प्रत्याशी आसिम रजा को हराने वाले आकाश सक्सेना वही शख्स हैं, जिन्होंने आजम खान के खिलाफ न सिर्फ कानूनी लड़ाई लड़ी बल्कि उन्हें इलाके की सत्ता से बेदखल करने में भी अहम भूमिका निभाई। रामपुर के नवाब परिवार से गहरी प्रतिद्वंदिता होने के बावजूद आजम खान को रामपुर में हराना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा माना जाता था।
52 प्रतिशत मुस्लिम आबादी देश में सर्वाधिक मुस्लिम बहुल जिला रामपुर ही है जहां 52 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है और बाकी की आबादी हिंदूओं की अगड़ी और पिछड़ी जातियों में बंटी हुई है। यहां हिंदू समुदाय के लोग अल्पसंख्यकों में आते हैं।
रामपुर में अब तक बने थे सिर्फ मुस्लिम विधायक राम हिंदुओं के प्रमुख देवता के रूप में पूजे जाते हैं। हाल के कुछ दशकों से भगवान राम के राजनैतिक इस्तेमाल की परंपरा चली है। इन्हीं भगवान के नाम से जिस शहर का नाम रामपुर है, वहां अब तक कोई हिंदू विधायक नहीं बन पाया था। मुस्लिम बहुल आबादी थी तो यहां सबसे पहला चुनाव जीतने वाली कांग्रेस ने उम्मीदवार भी मुस्लिम फजलुल हक को बनाया। साल 1952 में वह यहां से विधायक बने। इसके बाद यहां की राजनीति में नवाब परिवार की भी एंट्री हुई और लंबे समय तक उनका भी दबदबा रहा।
भगवान राम के नाम पर बसा है रामपुर रामपुर के नाम में भगवान राम का नाम आता है। रामायण की कोई कहानी इस जगह से नहीं जुड़ती। राम से रामपुर के सिर्फ दो ही कनेक्शन हैं। एक यह कि उसके नाम में राम आता है। दूसरा यह कि दुनिया की अकेली रामायण की किताब रामपुर की रजा लाइब्रेरी में है, जिसकी शुरुआत पवित्र कुरआन की पहली आयत से होती है। इस किताब को 300 साल पहले सुमेर चंद ने लिखा था, जो वाल्मीकि रामायण का फारसी में अनुवाद है। इस फारसी रामायण की शुरुआत बिल्मिल्लाह-उर-रहमान-ओ-रहीम से होती है। बाद में प्रोफेसर शाह अब्दुस्सलाम और वकारुल हसन ने इस रामयाण का हिंदी अनुवाद भी किया।
क्यों कहते हैं इसे रामपुर रामपुर रियासत के राजनैतिक इसिहास के बारे में प्रमाणिक जानकारी कम ही है। कहा जाता है कि नवाब फैजुल्ला खां रामपुर रियासत का पहला शासक था लेकिन इससे पहले यहां कठेरिया वंश के राजा राम सिंह की रियासत थी। साल 1626 के आसपास पूजा करते हुए धोखे से राजा राम सिंह की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद यह रियासत तत्कालीन मुगल बादशाह शाहजहां के सेनापति रुस्तम खां के हाथ में आ गई। रुस्तम खां ने इस जीते हुए नगर का नाम अपने नाम पर रुस्तम नगर रख दिया था लेकिन जब वह शाहजहां के दरबार में पेश हुए तो खुशामद में उसने जीती हुई रियासत को उनके बेटे मुराद के नाम पर मुरादाबाद बता दिया।
अनुमान है कि बाद में यह मुरादाबाद रियासत युद्ध आदि में छिन्न भिन्न हो गई और इसका एक हिस्सा तो मुरादाबाद के रूप में बरकरार रहा लेकिन जिस इलाके में राजा राम सिंह का शासन रहा था, उसे रामपुर के नाम से जाना जाने लगा। बाद में जब अफगान लड़ाकों का इस रियासत पर कब्जा हुआ तो उन्होंने इसका नाम बदलने की कोशिश की लेकिन रामपुर अपनी लोकप्रियता में इतना मजबूत हो गया था कि इसमें बदलाव संभव नहीं हो सका। तबसे यह रामपुर के नाम से ही जाना जाता है। indiafirst.online
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