HINDU नववर्ष 9 अप्रैल से – जानिए कैसा रहेगा ये वर्ष |

पब्लिक फर्स्ट । भोपाल । पंडित विनोद गौतम ।

9 अप्रैल को होगा नववर्ष प्रारंभ हिन्दू नववर्ष का आगमन 8 अप्रैल 2024 सोमवार रात्रि 11.55 पर धनु लग्न में हो रहा है। ज्योतिष मठ संस्थान नेहरू नगर भोपाल के संचालक ज्योतिषाचार्य पं. विनोद गौतम ने बताया कि नववर्ष का आगमन रात्रि में होने के कारण द्वितीय दिवस दिनांक 9 अप्रैल मंगलवार को प्रतिपदा तिथि में राजा का पद मंगल को प्राप्त होगा। इसी प्रकार प्रधानमंत्री का पद शनि को प्राप्त होगा। जिस प्रकार से देश में लोकतांत्रिक चुनाव में नियुक्त पदाधिकारियों द्वारा सरकार चलाई जाती है उसी प्रकार से आकाशमंडल में भी निर्वाचन प्रक्रिया होती है। वर्ष प्रतिपदा के दिन राजा का चयन किया जाता है इसी के साथ वर्ष के दशाधिकारियों के विभागों का बंटवारा हो जाता है। इस वर्ष राजा-मंगल, मंत्री-शनि, पूर्व धान्येश का पद मंगल, पश्चिम धान्येश-चंद्रमा को प्राप्त है। मेघेश अर्थात सिंचाई का प्रभार शनि को मिला है। रशेष रसों का प्रभार गुरु को प्राप्त है। सुरक्षा का प्रभार दुर्गेश शनि के पास है, जबकि नीरेशेष सूखी वस्तुओं का प्रभार मंगल के पास है। फलों का स्वामी फलेष शुक्र को बनाया गया है। एवं वित्त विभाग धनेश मंगल के पास रहेगा।


ज्योतिषाचार्य पं. विनोद गौतम के अनुसार इस वर्ष दशाधिकारों में सात विभाग क्रूर ग्रहों को तथा 3 विभाग शुभ ग्रहों को प्राप्त हैं। मंगल और शनि दोनों में नैसर्गिक शत्रुता है। अत: शासकों के मध्य सामंजस की कमी हो सकी है। मंगल और शनि कड़े और क्रूर ग्रह हैं इस कारण शासन में कड़ाई भी देखने को मिलेगी। वर्ष कुंडली में राजा मंगल शनि के घर तृतीय भाव पराक्रम में शनि के साथ ही बैठा है। जिससे कानून व्यवस्था में इस वर्ष एक रूपता आएगी। लग्नेश गुरु पंचम भाव में सूर्य के साथ बैठा है। जिस पर शनि की तीसरी दृष्टि है। अत: संगीत, कला, जादू के क्षेत्र में विशेष लाभ मिलेगा। मंगल के प्रभाव से युद्ध कर रहे राष्ट्र संघर्ष से बाहर निकल सकते हैं। कोरोना महामारी नए रूप में मानव जाति को प्रभावित कर सकती है। वर्ष के प्रारंभ में पिंगल नामक संव्तसर का प्रारंभ होगा। 27 अप्रैल को ग्रह योग प्रभाववश कालयुक्त एवं सिद्धार्थ नामक उपसंवत्सर प्रारंभ होंगे, परन्तु वर्षभर संकल्प, विनियोग आदि के समय में पिंगल नाम के संवत्सर का उच्चारण किया जाएगा।
इस वर्ष 22 जून का आद्र्रा प्रवेश होगा एवं वर्ष प्रारंभ होगी। वरुण नामक मेघ वर्षा कराएगा। वासुकी नामक मेघ पर सवार होकर वर्षा का प्रवेश वायु वेग के साथ होगा। रोहिणी का वास तट पर होने से शुभ वर्षा होगी। मध्य क्षेत्र में प्रबल वर्षा से जन-धन की हानि हो सकती है। ग्रह स्थिति के अनुसार विन्शोषक इस प्रकार है- वर्षा-5 विश्वा, धान्य-11, शीत-13, वायु-13, वृद्धि-15, छय-15, विग्रह-11, निद्रा-15, आलस्य-15, उद्यम-13, शांति -1 5, क्रोध-13, लोभ-3, मैथुन-15 रस-9, फल-13, उत्साह-11, उग्र-15, पाप-3, पुण्य-11, आचार-3, अनाचार-5, जन्म-7 मृत्यु-3 विश्वा रहेगी।

संवत्सर फल
इस वर्ष राजा मंगल होने से सैन्य शक्ति में कसावट एवं वृद्धि होगी, मंत्री शनि होने से न्याय व्यवस्था में कसावट आएगी। कई बड़े राजनेता न्यायलय के कटघरे में खड़े दिखाई देंगे। रवि की फसल भी मंगल के पास होने से वर्षा के साथ बिजली गिरने की घटनाएं अधिक होंगी। रक्षा का प्रभार शनि के पास होने से तटीय क्षेत्रों में विशेष सुरक्षा व्यवस्था की स्थिति में वृद्धि होगी। धनेश मंगल का प्रभाव देश की अर्थवस्था में वृद्धि करेगा। रस पदार्थो में गुरु के प्रभाव से वृद्धि होगी। सूखी वस्तुएं मावा आदि मंगल के प्रभाव से बढ़ेंगे। फलों का उत्पादन शुक्र के प्रभाव से अधिक होगा। वर्षा का प्रभार शनि के पास होने से विरल वर्षा होगी। कहीं-कहीं अधिक तो कहीं-कहीं अत्यधिक वर्षा से हानि होगी। राजा एवं मंत्री के प्रभाव से विश्व में युद्धरत देशों में संघर्ष विराम की स्थिति बनेगी। पाकिस्तान में आपदा से हानि हो सकती है। अमेरिका आदि पश्चिमी देशों में संघर्ष की स्थिति निर्मित होगी। परन्तु अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत भी ग्रह दे रहे हैं। नेपाल के संबंध भारत से अच्छे बनेंगे परन्तु अमेरिका से बिगडऩे की संभावना है। चीन में काफी विरोध का सामना करना पड़ सकता है। इजरायल अतंकवाद को समाप्त करने कड़े कदम उठा सकता है। रूप-यूक्रेन के युद्ध में परमाणु हथियार का सहारा लेकर रूस अपनी रणनीति में बदलाव कर सकता है। अमेरिका, जर्मना, यूरोप आदि देशों से यूक्रेन को सहायता मिलती रहेगी। तिब्बत में चीन का नियंत्रण बढ़ेगा। ब्रिटेन शनि सातवें भाव में कई देशों के साथ साझेदारी के शुभ संकेत देता है। नए प्रधानमंत्री के लिए अर्थवस्था को मजबूत करने का यह वर्ष है।

इस वर्ष का अढैया शनि एवं साढ़ेसाती
इस वर्ष शनि का विचरण पूरे वर्षभर कुंभ राशि में रहेगा। अत: पूर्व वर्ष की भांति इस वर्ष भी शनि की साढ़ेसाती एवं अढैया शनि के प्रभाव में कोई बदलाव नहीं होगा। ज्योतिष मठ संस्थान नेहरू नगर भोपाल के संचालक ज्योतिषाचार्य पं. विनोद गौतम ने बताया कि इस वर्ष मकर, कुंभ, मीन राशि वालों को साढ़ेसाती प्रभाव वर्षभर रहरेगा। कर्क और वृश्चिक राशि वाले अढैया शनि के प्रभाव से प्रभावित रहेंगे। शनि जिस राशि में भ्रमणरत होते हैं उस राशि के आगे-पीछे की राशि वालों को शुभाशुभ प्रभाव देते हैं। शनि के अशुभ स्थिति में होने से व्यापार-व्यवसाय में रुकावटें आती हैं। हानि के साथ निकट पारिवारिक संबंधियों से वाद-विवाद न्यायालयीन परेशानी एवं तनाव एवं मुसीबतों की बारिश होती है। परन्तु अगर शनि अनुकूल होने की स्थिति में रंक से राजा बनाने की क्षमता रखते हैं। पत्रिका में शनि शुभ होने पर सर्वसुख, आर्थिक लाभ, मान सम्मान में वृद्धि करा देते हैं। शनि को अनुकूल बनाने के लिए शनिवार का व्रत, लोहा, नीलम, काला हकीक आदि का दान शनि ोत का पाठ शनिवार को शनि को तेल अर्पण करना एवं मंगलवार को हनुमानजी को सिंदूर अर्पण करने से शनिकृत पीड़ा से मुक्ति मिलती है। वर्ष लग्न की कुंडली

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