पब्लिक फर्स्ट। वॉशिंगट।

ताइवान की समुद्री सीमा में तैनात अमेरिकी वॉरिशप और चीन का मिलिट्री शिप आमने-सामने आ गए। दोनों जहाज महज 150 मीटर की दूरी पर थे। इसके बाद चीन का जहाज वहां से निकल गया।
पिछले हफ्ते चीन का एक फाइटर जेट इसी इलाके में अमेरिका के स्पाय जेट के सामने आ गया था। अमेरिका के डिफेंस मिनिस्टर लॉयड ऑस्टिन ने कहा- हम नहीं चाहते कि किसी तरह का टकराव हो। अगर ऐसा होता है तो अमेरिका जवाब देने का हक रखता है।

हिंद महासागर पर नजर रखने वाली अमेरिकी नेवी की US इंडो-पैसेफिक कमांड ने बयान में कहा- चीन के नेवी शिप का हमारे वॉरशिप के सामने आ जाना सिर्फ यह साबित करता है कि चीन टकराव चाहता है। अगर ऐसा है तो अमेरिका जवाब जरूर देगा। एक हफ्ते में दूसरी बार चीन की तरफ से उकसावे वाली हरकत की गई है।

एक हफ्ते में दूसरी बार टकराव

पिछले हफ्ते चीन के लड़ाकू विमान ने साउथ चाइना सी के ऊपर इंटरनेशनल एयरस्पेस में उड़ रहे अमेरिकी जासूसी विमान को रोक दिया। चीन के J-16 प्लेन ने 26 मई को अमेरिकी विमान के कॉकपिट के ठीक सामने उड़ान भरी। इसकी वजह से US RC-135 स्पाई प्लेन में टर्बुलेंस आ गया।
अमेरिका में मौजूद चीनी एम्बेसी के स्पोक्सपर्सन लियू पेंग्यू ने कहा- अमेरिका कई बार चीन की निगरानी के लिए अपने विमान और जहाज तैनात करता रहता है। ये चीन की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है। अमेरिका को ये हरकतें रोकना होंगी।
पेंग्यू ने कहा है कि चीन अपनी रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाता रहेगा। चीन क्षेत्र में मौजूद दूसरे देशों के साथ मिलकर साउथ चाइना सी में अमन बहाली के लिए काम करेगा। दूसरी तरफ, पेंटागन ने कहा- इंटरनेशनल लॉ जहां कहीं भी उड़ान की इजाजत देगा, हम वहां जिम्मेदारी से उड़ान भरेंगे। इस मामले में कोई समझौता नहीं किया जाएगा।


चीन अमेरिकी डिफेंस सेक्रेटरी लॉयड ऑस्टिन के मुलाकात के न्योते को ठुकरा चुका है। अमेरिका ने चीन के डिफेंस सेक्रेटरी ली शांगफु को इस हफ्ते सिंगापुर में मुलाकात के लिए बुलाया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक- चीन फरवरी में हुए स्पाय बैलून विवाद के बाद अमेरिका से बातचीत को तैयार नहीं है।

पीछे नहीं हटेगा अमेरिका

अमेरिकी नेवी कमांड ने ये भी साफ कर दिया है वो चीन की इन हरकतों का जवाब देने के लिए तैयार है और किसी भी मामले में पीछे हटने का सवाल ही नहीं है। बयान में कहा गया- जमीन, आसमान या समंदर। जहां भी इंटरनेशनल बॉर्डर हैं, हम वहां पहले की तरह मिलिट्री एक्टिविटीज जारी रखेंगे। किसी भी मामले में पीछे हटने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता।

हैरानी की बात ये है कि समंदर में इतना बड़ा खतरा या कहें टकराव टलने के बावजूद चीन ने अब तक कोई रिएक्शन नहीं दिया है। इस मामले से दूरी बरतते हुए चीन के एक नेवी अफसर ने कहा- कुछ देश समंदर में तनाव पैदा कर रहे हैं। इससे इलाके के अमन खराब हो सकता है। कई खतरे पैदा हो सकते हैं।

जब से चीन और ताइवान में तनाव बढ़ा है, तब से अमेरिकी वॉरशिप यहां लगातार गश्त कर रहे हैं। अमेरिका ने पिछले साल ही साफ कर दिया था कि ताइवान के खिलाफ अगर कोई मिलिट्री एक्शन हुआ तो जवाब जरूर दिया जाएगा। इसके बाद से चीन बौखलाया हुआ है।

चीन ने शनिवार को एक बयान में कहा था- अगर हिंद महासागर में नाटो की तर्ज पर कोई मिलिट्री अलायंस बनता है तो उसके खतरनाक नतीजे होंगे। इससे आए दिन टकराव का खतरा पैदा होगा। अमेरिका और नाटो को इस तरह की किसी भी हरकत से बचना चाहिए।

साउथ चाइना सी विवाद

साउथ चाइना सी का करीब 35 लाख स्क्वायर किलोमीटर का एरिया विवादित है। चीन, फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, ताइवान और ब्रुनेई अलग-अलग हिस्सों पर दावा करते हैं।
माना जाता है कि साउथ चाइना सी में तेल और नैचुरल गैस के बड़े भंडार हैं। अमेरिका के मुताबिक, इस इलाके में 213 अरब बैरल तेल और 900 ट्रिलियन क्यूबिक फीट नेचुरल गैस का भंडार है।
वियतनाम इस इलाके में भारत को तेल खोजने की कोशिशों में शामिल होने का न्योता दे चुका है। इस समुद्री रास्ते से हर साल 7 ट्रिलियन डॉलर का बिजनेस होता है।
चीन ने 2013 के आखिर में एक बड़ा प्रोजेक्ट चलाकर पानी में डूबे रीफ एरिया को आर्टिफिशियल आइलैंड में बदल दिया। अमेरिका और चीन एक-दूसरे पर इस क्षेत्र का ‘मिलिटराइजेशन’ (सैन्यीकरण) करने का आरोप लगाते रहे हैं।

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