पब्लिक फर्स्ट | नई दिल्ली | 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण अफ्रीका में 22 से 24 अगस्त के बीच आयोजित होने वाले ब्रिक्स देशों के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए जोहान्सबर्ग का दौरा करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी व्यक्तिगत भागीदारी की पुष्टि कर दी है. जिसके बाद उनके दक्षिण अफ्रीका जाने या न जाने को लेकर तमाम अटकलें खत्म हो गई हैं. गुरुवार को साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने पीएम मोदी को फोन करके ब्रिक्स समिट के लिए न्योता दिया. जिसे पीएम मोदी ने स्वीकार कर लिया. वह ब्रिक्स के संगठन विस्तार पर लिए जाने वाले फैसले में हिस्सा लेंगे. पाकिस्तान और सऊदी अरब ने भी ब्रिक्स में शामिल होने की अर्जी दी है.

वहीं, भारत ने उन चर्चाओं को भी खारिज किया है कि वो ब्रिक्स समूह के विस्तार का विरोध कर रहा है. ब्रिक्स समूह में शामिल होने के लिए सऊदी अरब, यूएई, अर्जेंटीना, ईरान, इंडोनेशिया और कजाखस्तान ने रुचि दिखाई है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा- ‘इस मुद्दे पर हम अपना पक्ष पहले भी रख चुके हैं. कुछ लोग ये झूठ फैला रहे हैं कि भारत को ब्रिक्स के विस्तार से आपत्ति है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. भारत इसके विरोध में नहीं है.’

जयशंकर ने भी साफ किया था भारत का रुख
ब्रिक्स समिट को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर भी भारत का रुख साफ कर चुके हैं. एस जयशंकर ने कहा कि हम इसे लेकर खुले दिमाग से काम कर रहे हैं. ब्रिक्स संगठन के देश इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि दूसरे देशों के लिए गाइडलाइंस और स्टैंडर्ड पर काम किया जा रहा है. वहीं, आर्थिक तंगी से जूझ रहा पाकिस्तान भी ब्रिक्स देशों के संगठन में शामिल होने की इच्छा जता चुका है. फिलहाल पाकिस्तान के लिए बैठक में शामिल होना नामुमकिन है.

ब्रिक्स से पश्चिमी देशों को डर
सऊदी, UAE, मिस्र और ईरान समेत दर्जनों देश ब्रिक्स संगठन का सदस्य बनने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं और इसकी सदस्यता के लिए अप्लाई भी कर चुके हैं. किसी भी देश को संगठन का सदस्य बनाने के लिए सभी देशों के बीच सहमति जरूरी है. फिलहाल ब्राजील, रूस, इंडिया, चीन और साउथ अफ्रीका इस संगठन के सदस्य हैं.

publicfirstnews.com

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